वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो (María Corina Machado) को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। मचाडो वेनेज़ुएला की विवादित दक्षिण पंथी संगठन वेनते वेनेज़ुएला की नेता हैं। यूँ तो ये पार्टी अपने आपको लेफ़्ट और राइट से अलग करके बताती है लेकिन जानकार इस पार्टी को दक्षिण पंथी या कट्टर दक्षिणपंथी में गिनते हैं। नोबेल दिए जाने की भी वजह यही मानी जा सकती है कि इनका आंदोलन एक वामपंथी सरकार के ख़िलाफ़ है।
नॉर्वे की नोबेल समिति ने शुक्रवार, 10 अक्टूबर को ओस्लो में इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि मचाडो को यह सम्मान वेनेजुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए उनके अथक और शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए दिया जा रहा है।
समिति के प्रमुख योर्गेन वाट्ने फ्रीडनेस ने कहा, “मचाडो, वेनेजुएला की लोकतांत्रिक आवाज़ों की प्रतिनिधि के रूप में, हाल के वर्षों में लैटिन अमेरिका में नागरिक साहस का असाधारण उदाहरण हैं।”
मचाडो ने लंबे समय से कम्युनिस्ट शासन से “लोकतंत्र” की ओर बदलाव की लड़ाई लड़ी है। वे देश में स्वतंत्र चुनाव, अभिव्यक्ति की आज़ादी और राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मुखर मांग करती रही हैं।
पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल में जब अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित दावेदारी पर प्रश्न किया गया, तो समिति ने स्पष्ट किया कि वह निर्णय अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत और मूल भावना के अनुरूप ही करती है।
फ्रीडनेस ने कहा, “हमें हर साल हजारों सुझाव मिलते हैं, लेकिन हमारा निर्णय पूरी तरह नोबेल की इच्छा और सिद्धांतों पर आधारित होता है।”
शांति पुरस्कार देने का अधिकार नॉर्वे की समिति के पास है, जबकि अन्य नोबेल पुरस्कार (साहित्य, रसायन, भौतिकी, चिकित्सा और अर्थशास्त्र) स्वीडिश अकादमी द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
हाल के वर्षों में भी नोबेल शांति पुरस्कार ऐसे व्यक्तियों और संगठनों को दिया गया है, जिन्होंने मानवाधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया —
2021 में मारिया रेसा और दिमित्री मुरातोव,
2022 में आलेस बियालियात्स्की, मेमोरियल और सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज,
2023 में ईरान की नर्गिस मोहम्मदी,
और 2024 में जापान के निहोन हिदान्क्यो संगठन को यह सम्मान दिया गया था।
