फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबास्टियन लुकोर्नू ने सोमवार, 6 अक्टूबर को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। वह महज़ 27 दिनों पहले, 9 सितंबर को प्रधानमंत्री नियुक्त हुए थे। राष्ट्रपति इमैनुएल माक्रों ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है। इस तरह लुकोर्नू 1958 के बाद से सबसे कम अवधि तक पद पर रहने वाले फ्रांसीसी प्रधानमंत्री बन गए हैं।
इस्तीफ़े से कुछ घंटे पहले ही लुकोर्नू ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों की घोषणा की थी, जिसके बाद उन्हें न सिर्फ़ विपक्ष बल्कि अपने ही राजनीतिक गुट से भी तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा। वे मंगलवार को संसद ‘नेशनल असेंबली’ में अपनी सरकार का रोडमैप पेश करने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने पद छोड़ने का फ़ैसला कर लिया।
इस घटनाक्रम ने फ्रांस को एक नए राजनीतिक संकट में धकेल दिया है। राष्ट्रपति माक्रों के दूसरे कार्यकाल में अब तक तीन अल्पमत सरकारें विफल हो चुकी हैं। जनवरी 2024 से अब तक देश में पांच प्रधानमंत्री देखे जा चुके हैं, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई है।
धुर-दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली के प्रमुख जॉर्डन बार्देला ने इस स्थिति को देखते हुए मध्यावधि चुनाव कराने की मांग की है। वहीं राष्ट्रपति माक्रों के सहयोगी भी मौजूदा हालात से नाराज़ नज़र आ रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री और रेनेसां पार्टी के नेता गेब्रियल अताल ने कहा कि सरकार गठन से पहले बजट पर सहमति बनाने के उनके सुझाव को नज़रअंदाज़ किया गया। उन्होंने कहा कि “अगर सरकार का आधार ही अस्थिर है, तो किसी भी सुधार की उम्मीद बेकार है।”
फ्रांस की मौजूदा राजनीतिक स्थिति न केवल देश के भीतर अस्थिरता को दिखाती है, बल्कि माक्रों के नेतृत्व पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।