Sahabi Ka Pakka Iman ~ हजरत साद ने जब दरिया को पार करने का फैसला किया तो 60000 का लश्कर हुआ करता था और दरिया भी दरिया हुआ करता था हमारी तरह सोया हुआ दरिया नहीं बिखरा हुआ दरिया हुआ करता था जब आप ने दरिया को पार करने का इरादा किया तो आपने सबसे कहा की जिस किसी ने कबीरा गुनाह किया है वह तौबा कर ल।60,000 के लश्कर में एक आदमी भी कबीरा गुनाह वाला नहीं था।
जबकि हम सब ग़ीबत करते हैं और ये एक कबिरा गुनाह है औऱ वह भी मस्जिद में पहली सफ में बैठ कर ग़ीबत।जबकि हम सब जानते हैं कि ग़ीबत कबिरा गुनाहों में से है।अब मसला ये हुआ कि 60,000 में से किसी ने भी कबिरा गुनाह नहीं किया होगा?3आदमियों पर शक हुआ।ये तीन शक्स वो थे जिन्होंने हुज़ूर की वफात के बाद खुद की नबुव्वत का दावा किया था।
लेकिन अल्लाह ने उनको तौबा का मौका दिया।जब उन तीनों के हालात का जायज़ा लिया गया चुपके चुपके,तो पता चला उनसे ज़्यादा दुनिया से बेज़ार कोई नहीं था।और आख़िरत का चाहने वाला कोई नह था।जब मश्हूक लोगों के अंदर की कैफ़ियत ये थी तो सोचिए सही साफ सुतरे लोगो का क्या हाल होगा।तब आपने सबसे कहा कि डाल दो अपने पैरों को दरिया में अब कोई हमे हिला नहीं सकता है।
तो सवाल ये आया कि पहेल कौन करेगा तब आमिर अंसारी सामने आय उन्होंने कहा मैं पहेल करूँगा।तब हुकुम हुआ कि इनके साथ 600 आदमी खड़े हो जाओ।औऱ 600 लोग साथ मे तैयार हो गए।जब ये 600 का लश्कर तैयार होगया तो हुकुम हुआ कि इनमें से 60 आदमी आगे बढ़े और दारिया के किनारे पहुँचे।इस तरह 60-60 की 10 टोलियां बना दी गईं।
अब इनमे अली रज़ियल्लाहु अन ने पहली टोली बनवाई।अब दरिया की लहर देख कर घोङे घबराये क्योंकि घोड़े तो दरिया के जानवर हैं नहीं।इसलिए घोड़े पीछे हटने लगे।अब इन घोड़ो पर सवाल लोगो पर भी घोड़ो के डर का असर होने लगा।इंसान हैं ना तो थोड़ा असर तो होगा ही।अब हुज्र बिन अली रज़ियल्लाहु अन कहने लगे,ऐ अल्लाह के बंदों तुम किससे डर रहे हो?तुम इस बिखरे हुए दरिया और नुत्फे से डर रहे हो? अल्लाह का हुक्म है कि वक़्त से पहले कोई नहीं मरता है।
ये कह कर सबसे पहले हुज्र बिन अली ने बिस्मिल्लाह कहकर घोड़े को दरिया में डाल दिया।फिर उसके पिछे 60 और घोड़े आगे बढ़े,उसके पीछे 60 -60 और बढ़े।उसके पीछे 600 और बढ़े।इस तरह पूरे 60000 लोग दरिया में उतर गये।हुक़्म हुआ कि “लहौला वाला कुँवता “पढ़ते हुए आगे बढ़ते रहो।तो सारे लोग यही पढ़ते हुए आगे बढ़ने लगे।
तब आपने कहा कि जब तक इस लश्कर के सभी लोग इसी दुआ के ईमान पर कायम रहेंगे,अल्लाह की कसम अल्लाह उनकी हिफाज़त करेगा।और उस वक़्त दुनिया ने मोजिज़ा देखा।जिस वक्त किसी आदमी का घोड़ा तैरते-तैरते थक जाता उस वक़्त एक चट्टान का टुकड़ा ऊपर आता और घोड़ा उस पर आराम कर लेता।ये मंज़र ईरानी दूर से देख रहे थे।और सब ईरानी वहाँ से भाग खड़े हुए ।किसी का जूता राह गया तो किसी की तलवार।और सब कहने लगे कि जिसे दरिया नही रोक सका उसे हम कैसे रोकेंगे?….ये आर्टिकल मौलाना तारिक जमील के बयान पर आधारित है ~ Sahabi Ka Pakka Iman