Bachche Ke Kaan Mein Namaz Padhna ~ अस्सलाम ओ अलैकुम दोस्तों, हम एक बार फिर हाज़िर हैं दीन की बात लेकर. हम जानते हैं कि जब भी घर में कोई बच्चा पैदा होता है तो सबसे पहले उसके कान में अज़ान दी जाती है. हमारे बड़े-बुज़ुर्ग हमें ये हिदायत देते रहे हैं और हम देखते भी रहे हैं कि कोई बच्चा पैदा होता है तो उसके कान में धीरे से अज़ान दी जाती है. दोस्तों इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसमें हर एक चीज़ किसी न किसी कारण से की जाती है. तो हम आज आपको ये बताने जा रहे हैं कि पैदा होने पर किसी बच्चे के कान में अज़ान पढ़े जाने का क्या कारण है.
आप सभी जानते हैं कि जब भी अज़ान होती है तो हमें शांत हो जाने को कहा जाता है और हम अज़ान की आवाज़ सुन कर नमाज़ की तैयारी करते हैं. बड़े-बड़े नेता भी अज़ान का सम्मान करते देखे गए हैं फिर वो भले किसी मज़हब के हों. बच्चे के पैदा होते ही उसके कान में अज़ान पढ़ने का जो कारण है वो ये है कि अज़ान की आवाज़ से शैतान भाग जाते हैं. यही वजह है कि बच्चे पर किसी तरह से शैतान का साया न पड़े इसलिए ऐसा किया जाता है. बच्चे के पैदा होते ही उसे दीन की सबसे आला चीज़ सुनाई जाती है.
हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम अल्लाह के रसूल हैं, ये दावत सुनकर शैतान भागने लगता है. इस तरह से शैतान बच्चे के साए से भी दूर हो जाता है. दोस्तों, इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसमें हर मस’अले का हल है. पैदा होने से लेकर ज़िन्दगी के आख़िरी लम्हे तक कैसे ज़िन्दगी बितानी है इस पर ख़ास फोकस होता है. दोस्तों, आज हमने दीन की एक ख़ास बात समझी है कि पैदा होने के बाद बच्चे के कान में अज़ान क्यूँ दी जाती है. ~ Bachche Ke Kaan Mein Namaz Padhna