हरिभान यादव की रिपोर्ट ~ लखनऊ: उत्तर प्रदेश में क़ैदियों की संख्या के बारे में अक्सर ये ख़बर आती है कि जेलों की क्षमता कम है. वर्तमान में लगभग सभी जेलो में क्षमता से ज्यादा क़ैदियों की संख्या है। कैदियों की अधिक संख्या को देखते हुए सरकार ने नई जेलें (UP mein banengi nai jails) बनाने का फैसला लिया है। प्रदेश के 11 ऐसे जिले चिह्न्ति किए गए हैं, जहां पर अभी कोई जेल नहीं है। इसके अलावा एक केंद्रीय कारागार और नौ जिलों में दूसरी जेल के निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
वहीं कुछ जेलों में बैरकों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके लिए योगी सरकार के निर्देश पर शासन ने कारागार विभाग को हरी झंडी देते हुए भारी भरकम बजट जारी कर दिया है। इन जेलों को वर्तमान परि²श्य को देखते हुए हाईटेक टेक्नोलॉजी का यूज करते हुए बनाया जाएगा। इसके साथ ही नई जेलों के निर्माण का लक्ष्य 2 से 5 साल निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक उच्च स्तरीय बैठक में कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने अवगत कराया था कि वर्तमान में प्रदेश की केंद्रीय और जिला कारागार समेत कई कारागार में क्षमता से अधिक बंदी हैं।
विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि वर्तमान में 7 केंद्रीय कारागार में 13,669 बंदियों की क्षमता है जबकि यहां पर 15,201 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका रेश्यो 111 प्रतिशत है। इसी तरह 62 जिला कारागार में 49,107 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 95,597 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका रेश्यो 194 प्रतिशत है। वहीं 2 उप कारागार में 306 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 664 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका रेश्यो 216 प्रतिशत है। महिला केंद्रीय कारागार में 120 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 148 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका रेश्यो 123 प्रतिशत है।
ऐसे में जेल मैनुअल द्वारा प्रदत्त सुविधाएं उपलब्ध कराने और बंदियों के मानवाधिकारों के संरक्षण को देखते हुए नई जेलों (UP mein banengi nai jails) की आवश्यकता है। शासन ने कारागार विभाग को बजट जारी किया है । अमेठी, महोबा, कुशीनगर, चंदौली, औरैया, हाथरस, हापुड़, संभल, अमरोहा, भदोही, शामली में जेल बनेगी ।