नई दिल्ली: जामिया मिलिया विश्विद्यालय में पुलिस का घुसकर छात्रों को बुरी तरह पीटने का मामा सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा. सुप्रीम कोर्ट ने हालाँकि छात्रों के पक्ष को कहा कि वो पहले हाई कोर्ट में जाएँ. इस बारे में प्रधान न्यायधीश एसए बोबडे ने कहा,”हम अपना वक्त तथ्यों की तलाश में नहीं लगाना चाहते. आप पहले हमसे निचली अदालत में जाएं…तेलंगाना एनकाउंटर मामले में, एक आयोग मामले को देख सकता है. इस मामले में विभिन्न हिस्सों में विभिन्न घटनाएं हुई हैं और एक आयोग के पास उस प्रकार का अधिकार क्षेत्र नहीं हो सकता है”
छात्रों की ओर से वकील कॉलिन ने कहा,”कल शाम को जामिया की वाइस चांसलर ने एक बयान जारी किया है. कल ऐसा लगा जैसा आपने छात्रों को जिम्मेदार ठहराया है.” प्रधान न्यायधीश ने कहा,”हमने ऐसा कुछ नहीं कहा. हम अखबारों पर भरोसा नहीं कर सकते…हमने कभी छात्रों को जिम्म्दार नहीं ठहराया.” कॉलिन ने आगे कहा कि अलीगढ़ में 50-60 छात्रों के साथ पुलिस ने टार्चर किया है. उनके सिर फोड़े हैं.अलीगढ़ में अगर किसी रिटायर्ड जज को भेजा जाता है तो शांति होगी. सभी को लगेगा कि जांच हो रही है.
केंद्र सरकार के वकील ने इस बात पर टिपण्णी करते हुए कहा कि आप टीवी डिबेट में नहीं हैं.. बसें, 20 निजी कारें व अन्य वाहन जलाए गए. 67 जख्मी लोगों को पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया. प्रधान न्यायधीश ने सरकारी वकील से सवाल किया कि बिना पहचान किए गिरफ्तारी क्यों? इस पर वकील ने कहा कि किसी भी छात्र को गिरफ्तार नहीं किया गया. कोई जेल में नहीं है. यहां वरिष्ठ अफसर मौजूद हैं.
प्रधान न्यायधीश ने पूछा,”अस्पताल में छात्रों की क्या हालत है ?, केंद्र सरकार के वकील ने जवाब दिया सभी का मुफ्त इलाज चल रहा है एक शख्स मे टीयर गैस का गोला हाथ में ले लिया और वो ज़ख़्मी हो गया. छात्रों की तरफ़ से वकील ने कहा कि छात्रों की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि छात्रों के खिलाफ FIR दर्ज हुई हैं. अगर शांति चाहते हैं तो छात्रों के खिलाफ FIR दर्ज करना बंद हों और गिरफ्तारी बंद हो.