पश्चिम एशिया/तुर्की: पिछले कुछ सालों में क़तर और सऊदी अरब के रिश्ते ख़राब हो गए हैं. ये रिश्ते तब और ख़राब हो गए जब सऊदी अरब और उसके मित्र देशों ने क़तर से अपने सभी सम्बन्ध तोड़ लिए. इसके बाद से ही ऐसी कोशिशें चलती रही हैं कि इन अरब देशों के रिश्ते में सुधार आये. कुवैत और ओमान कोशिश करते रहे हैं कि सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र और UAE के रिश्ते क़तर से अच्छे हो जाएँ. इस कोशिश में तुर्की भी लगा है, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन इस बारे में अब और अच्छे से कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि ये बलोकेड को ख़त्म करना ज़रूरी है और अब शान्ति के नए दौर की शुरुआत होनी चाहिए. तुर्की और क़तर के सम्बन्ध अच्छे माने जाते हैं और तुर्की हमेशा से इस बात का पैरोकार रहा है कि क़तर पर इस तरह के प्रतिबन्ध नहीं लगें. एर्दोआन ने इस बारे में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हमारे क़तर के साथ मज़बूत राजनीतिक, आर्थिक और स्ट्रेटेजिक सम्बन्ध हैं.
उन्होंने कहा कि अमीर शेख़ तमीम बिन हमद अल थानी के साथ हमारे सम्बन्ध मज़बूत हुए हैं, ये सम्बन्ध हमने उनके पिता के ज़माने में बनाए थे. एरदोआन ने इस बारे में कहा कि जिन लोगों ने क़तर के ख़िलाफ़ बलोकेड लगाईं थी वे नाकामयाब हुए हैं और क़तर ने इस पूरी प्रक्रिया में ख़ुद को एक मज़बूत देश साबित किया है. एर्दोआन ने कहा कि क़तर ने तुर्की का तब साथ दिया था जब जुलाई 15 को तुर्की का तख़्तापलट करने की कोशिश की गई थी.
दूसरी ओर तुर्की के राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि तुर्की ने भी क़तर का मुश्किल दौर में साथ दिया है. उन्होंने साथ ही कहा कि क्षेत्रीय परेशानियों को सुलझाने में वक़्त और ऊर्जा की बर्बादी होती है. उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों क़तर, सऊदी अरब, बहरीन, और UAE के संबंधों में कुछ बेहतरी की उम्मीद की गई. ये तब हुआ जब सऊदी अरब और उसके मित्र देशों ने क़तर में होने वाले गल्फ फुटबॉल टूर्नामेंट में भाग लेने की रज़ामंदी दे दी.