चंडीगढ़: पिछले कई दिनों से पंजाब कांग्रेस के अंदर ह’लचल मची हुई है। इसी वजह से 3 सदस्यीय कमिटी बनाई गई थी। जिसने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी है. सूत्रों के मुताबिक़,यह रिपोर्ट चार पन्नों की है। इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के कामकाज को लेकर पार्टी के कई विधायक ना’राज़ है।
इस रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी है कि विधायकों की नाराज़गी के बावजूद उनके खिलाफ ब’गावत की बाते नही नज़र आईं। नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी के लिए महत्वपूर्ण बताया गया। लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष जैसे बड़े पद नही दिए जा सकते। विधायकों की अफसरशाही को लेकर भी नाराज़गी थी। लेकिन इस रिपोर्ट में अफ़सरशाही पर फ़ैसले छो’ड़ने की बजाय उस पर ल’गाम लगाने की सिफारिश भी की गई है।
नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे की ओर से उन्हें अहम ज़िम्मेदारी सौपें जाने की मांग को इसमें शामिल किया गया है और यह फैसला कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ा गया है। सूत्रों के मुताबिक सिद्धू सीएम कैप्टन अमरिंदर के अ’धीन होकर काम नही करना चाहते। पंजाब कांग्रेस विधायकों, सांसदों और अहम नेताओं के साथ बातचीत के आधार पर पंजाब कांग्रेस के जल्द पुनर्गठन की सिफ़ारिश की गई है।
इसमें पार्टी के लिए मेहनती नेताओं और का’र्यकर्ताओं को महत्व देने की बात भी है। दलितों और हिन्दुओं के बीच जोड़मेल बनाकर चलने की बात बहु शामिल है। प्रदेश में अध्यक्ष और दो कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किये जाने की सिफारिश भी शामिल है जिसमे से एक हिन्दू नेता हो और दूसरा दलित नेता। सूत्रों के अनुसार दो उपमुख्यमंत्री बनाने की बात भी कही गई है जिसमें से एक हिन्दू हो और दूसरा दलित नेता हो। ताकि संतुलन बन सके।
प्रदेश में खाली पड़े विभिन्न बोर्डों और निगमों के पदों पर कांग्रेस के लिए मेहनत करने वाले लोगो की नियुक्ति जल्दी किये जाने की बात कही गई है। वहीं, बे’अदबी के मामले पर फ़ैसला मुख्यमंत्री के ऊपर छोड़ा गया है। वह जो चाहें प्रशासनिक फ़ैसला लें क्योंकि ये संवदेनशील मामला है।