Prayagraj BJP mein do gut ~ उत्तर प्रदेश में इन दिनों निकाय चुनाव की तैयारियाँ ज़ोर-शोर से चल रही हैं. सभी प्रत्याशी अपनी अपनी जीत के दावे भी कर रहे हैं और जीतने की कोशिशें भी कर रहे हैं. प्रयागराज में भी कुछ ऐसा ही माहौल है. ख़बरों की मानें तो प्रयागराज में भाजपा दो गुटों में बंटी हुई दिख रही है. एक गुट डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का है तो वहीं, दूसरा गुट कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी का है। अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि दोनों नेताओं में बिलकुल नहीं बन रही है.
शनिवार को जब सपा नेता रईस चंद्र शुक्ला को केशव प्रसाद मौर्य ने पार्टी में शामिल कराया तो उसके तुरंत बाद ही नंदी ने इसका विरोध जताया। उन्होंने बिना नाम लिए कहा, “कुछ लोग पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाना चाहते हैं और हठधर्मिता से पार्टी को लगातार क्षति पहुंचा रहे हैं।” रिपोर्ट्स की मानें तो इस अंदरूनी कलह का नुक़सान भाजपा को हो सकता है. दरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव में नंदी के सामने रईस शुक्ला सपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे।
नंदी ने उन्हें हरा भी दिया था और दूसरी बार याेगी की कैबिनेट में स्थान भी बनाया। रईस शुक्ला सपा से इस बार भी महापौर के लिए टिकट मांग रहे थे लेकिन टिकट नहीं मिला तो उन्होंने भाजपा का दामन लिया। केशव प्रसाद ने उन्हें भाजपा में शामिल कराया। नंदी इससे नाराज हैं। वहीं, नंदी की नाराज़गी की वजह ये भी बताई जा रही है कि केशव ने ही अभिलाषा का टिकट कटवाकर गणेश केसरवानी को दिलाया है। जबकि नंदी अभिलाषा का टिकट कन्फर्म मानकर तैयारियों में जुटे थे। इससे नंदी की नाराजगी और बढ़ गई थी।
असल में नंदी और मौर्या में पहले से ही कुछ न कुछ खटपट चलती रहती है. साल 2007 के विधानसभा चुनाव में नंदी ने तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी पंडित केसरी नाथ त्रिपाठी को चुनाव हराया था। साल 2017 में नंदी भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें शहर दक्षिणी से प्रत्याशी बनाया था। उस समय पंंडित केसरी नाथ त्रिपाठी ने भी विरोध जताया था। बाद में नंदी मंत्री भी बन गए थे। 2022 में नंदी प्रत्याशी रहे और चुनाव जीतने के बाद मंत्री बन गए।
रईस चंद्र शुक्ला पहले ही भाजपाई थे। साल 2015 में भाजपा से ही वह MLC का चुनाव लड़े थे। मगर. सपा प्रत्याशी रहे वासुदेव यादव से वह चुनाव हार गए थे। फिर रईस चंद्र सपा में आ गए थे और 2022 के विधानसभा चुनाव में वह नंदी के सामने सपा से चुनाव लड़े थे। लेकिन एक बार वह अपनी पुरानी पार्टी भाजपा में आ गए हैं। रईस चंद्र शुक्ल के चलते भाजपा दो फाड़ में होते दिख रही है। Prayagraj BJP mein do gut