देश के लिए कई सारे मेडल जीतने वाले पहलवानों द्वारा जारी किया गया आंदोलन केंद्र के लिए एक बड़ी मुसीबत बनी हुई है। क्योंकि लगातार लोग इस आदोलन से जुड़ते जा रहे हैं। खबर मिली है कि 1983 में वर्ल्ड विजेता भारतीय टीम भी पहलवानों के समर्थन में उतर चुकी है। टीम के लगभग सभी खिलाड़ियों ने पहलवानों को यकीन दिलाया है कि वह उनके साथ हैं और उनकी लड़ाई में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगे।
विजेता टीम के सदस्य मदन लाल ने हाल ही में पहलवानों को समझने के लिए एक बयान दिया है, जिसमें वह कहते हैं कि पहलवानों का पदक गंगा में बहाना ठीक नहीं है। मदन लाल ने कहा कि “पहलवान बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट समेत कई अन्य पहलवानों ने अपने पदक गंगा में बहाने का फैसला लिया। यह दिल दहला देने वाला है। हम उनके पदक फेंकने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि पदक अर्जित करना आसान नहीं है और हम सरकार से इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने का आग्रह करते हैं।”
1983 के वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले दिग्गज खिलाड़ी कपिल देव तो पहले ही पहलवानों को समर्थन दे चुके हैं। लेकिन अब मदन लाल, सुनील गावस्कर, बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी, दिलीप वेंगसरकर समेत कई और खिलाड़ियों ने भी पहलवानों का समर्थन किया है। खिलाड़ियों का कहना है कि “हम अपने चैंपियन पहलवानों के साथ मारपीट से व्यथित और परेशान हैं।”
वह आगे कहते हैं कि “हमें सबसे अधिक चिंता इस बात की भी है कि वे अपनी मेहनत की कमाई को गंगा नदी में बहाने की सोच रहे हैं। उन पदकों में वर्षों का प्रयास, बलिदान, संकल्प और धैर्य शामिल है और वे न केवल उनके लिए बल्कि देश का गौरव हैं। हम पहलवानों से आग्रह करते हैं कि वे इस मामले में जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें और यह भी आशा करते हैं कि उनकी शिकायतों को सुना जाएगा और जल्दी से हल किया जाएगा। देश के कानून को कायम रहने दो।”