यूरोप: 14 सितम्बर को सऊदी अरब के तेल मैदानों पर हुए ड्रोन हम’ले के बाद से ही क्षेत्र में त’नाव की स्थिति है. सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों ने इस कृत के लिए ईरान को ज़िम्मेदार ठहराया है जबकि ईरान ने इस बात को ख़ारिज किया है. अब ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने भी अमेरिका के उस आरोप का समर्थन किया है जिसमें सऊदी अरब की तेल रिफाइनरियों पर हुए हम’ले के लिए ईरान को जिम्मेदार माना गया है.
संयुक्त राष्ट्र की आम सभा के लिए न्यू यॉर्क पहुंचे यूरोपीय नेताओं ने ईरान से जुड़े मुद्दों पर बात करने के लिए मीटिंग की. इसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों शामिल हुए. इस बैठक के बाद यूरोपीय देशों ने संयुक्त बयान जारी किया है. एक साझा बयान जारी कर कहा गया,“अब वक्त आ गया है कि ईरान परमाणु कार्यक्रम की लंबे समय की रूपरेखा पर बातचीत को स्वीकार करे और उसमें मिसाइल कार्यक्रम समेत क्षेत्रीय सुरक्षा के दूसरे मुद्दे भी शामिल हों.”
आपको बता दें कि ईरान ने इन देशों के साथ नई डील पर समझौता करने से इनकार किया है. ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने सोमवार को ट्वीट कर कहा यूरोपीय सहयोगी 2015 में हुए करार की शर्तों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले साल इस डील से बाहर आने का एकतरफा एलान कर दिया.
इसके बाद से ही ऐसी कोशिशें तेज़ हो गई हैं जिससे कि दोनों देशों के बीच तना’व कम हो परन्तु किसी प्रकार की सफलता नहीं हासिल हो पाई है. अमेरिका ने ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए, इतना ही नहीं सख्ती और ज्यादा बढ़ा दी गई. इसके जवाब में ईरान भी यूरेनियम संवर्धन की तय सीमाओं को धीरे धीरे तोड़ता रहा है. ईरान ने इस सीमा को और आगे ना ले जाने के लिए अक्टूबर तक की मोहलत दी है.
ईरान ने शर्त रखी है कि ईरान की अर्थव्यवस्था को अमेरिकी प्रतिबंधों से बचाया जाए.ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी ने साझा बयान में कहा कि हमारे लिए यह साफ हो गया है कि ईरान पर इस हमले की जिम्मेदारी है. इसकी कोई और विश्वसनीय व्याख्या नहीं हो सकती. हम उन जांचों का समर्थन करते हैं जो इसे साबित करने के लिए और तथ्य जुटा रही हैं.”