जेरूसलम: इज़राइल में हाल ही में आम चुनाव हुए थे. इन चुनावों में कोई भी ऐसा नतीजा नहीं निकला जिसके बाद सरकार बनाने का रास्ता आसान लगे. ये एक ही साल में देश का दूसरा आम चुनाव था. ब्लू एंड वाइट पार्टी ने सबसे अधिक 33 सीटें जीती हैं जबकि दक्षिणपंथी लिकुद पार्टी 32 सीटें जीतने में कामयाब रही.
120 सीटों वाले क्नेसेट में बहुमत के लिए 61 सीटें चाहिएँ लेकिन ये किसी के भी पास नहीं आयीं. गठबंधन के बाद भी सरकार बनाना मुश्किल लग रहा है. अब सरकार गठन में तो वक़्त लग रहा है ऐसे में क्नेसेट सदस्यों ने पहले ही अपनी शपथ ले ली है. इज़राइल की क्नेसेट भारत की लोकसभा के समकक्ष है. गुरुवार की दोपहर को शपथ समारोह इजरायल के 22वें कनेसेट के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित किया गया.
इस समारोह की शुरुआत इज़रायली राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन द्वारा क्नेसेट के संबोधन से हुई. उल्लेखनीय है कि दक्षिणपंथी नेता बेंजामिन नेतान्याहू के विरोधी बैनी गैंट्ज़ की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी 17 सितम्बर को हुए आम चुनाव में 33 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है, जबकि नेतनयाहू की लिकुद पार्टी केवल 31 सीटें ही जीत सकी है। जबकि अरब गठबंधन को 13 सीटें प्राप्त हुई हैं और वह सबसे अधिक सीटें जीतने में तीसरे नम्बर पर है।
ग़ौरतलब है कि अवैध अधिकृत इलाक़ों में अभी भी 20 प्रतिशत फ़िलिस्तीनी नागरिक रहते हैं, जिन्हें ज़ायोनी शासन की नस्लवादी और रंगभेदी नीतियों का सामना करना पड़ता है। चुनाव प्रचार के दौरान नेतनयाहू ने वादा किया था कि अगर वह चुनाव जीत जाते हैं तो पश्चिमी तट की जॉर्डन घाटी का अवैध अधिकृत इलाक़ों में विलय कर देंगे।