कर्नाटक में बीजेपी को मात देने के बाद कांग्रेस पार्टी ने राज्य की सत्ता को संभाल लिया है। कांग्रेस के बड़े नेता सिद्धारमैया को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया है। चुनाव से पहले पार्टी ने जनता से कई बड़े बड़े वादे किए थे और अब समय आ गया है कि वह अपने वादों को पूरा करें। ऐसा कहना है जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का, सोमवार को एक बयान जारी करते हुए उन्होंने ये बात बोली है।
सोमवार के दिन एक बैठक के बाद मौलाना अरशद मदनी ने कांग्रेस पार्टी को उनके वादे याद दिलाते हुए कहा कि “कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के कड़े रुख और बजरंग दल व ऐसे ही अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का वादा सराहनीय है। अब समय आ गया है कि कांग्रेस अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर मुसलमानों को दिए गए आरक्षण को बहाल करे।”
दरअसल, कांग्रेस से पहले सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने मुसलमानों का चार प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया था। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई थी और सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए गए थे। इस बीच ही कांग्रेस पार्टी ने इसको चुनावी मुद्दा बनाया और मुस्लिम समुदाय के लोगों को यकीन दिलाया की वह आर्थिक पिछड़ेपन पर आधारित मुसलमानों का आरक्षण बहाल करवाएंगे।
लेकिन जब अब कांग्रेस पार्टी ने चुनाव में जीत हासिल कर ली है तो मदनी ने पार्टी को वादा पूरा करने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “कर्नाटक चुनाव के परिणाम बताते हैं कि राज्य के लोगों ने नफरत के एजेंडे को खारिज कर दिया है। अगर कांग्रेस ने 75 साल पहले सांप्रदायिकता के खिलाफ इतना कड़ा रुख अपनाया होता तो वह (केंद्र में) सत्ता से बेदखल नहीं होती। गांधीजी की हत्या के बाद अगर उस समय सांप्रदायिकता को कुचल दिया गया होता तो देश को बर्बाद होने से बचाया जा सकता था।”