नई दिल्ली: भारत में यूं तो मीडिया बहुत बड़े स्तर पर फैला हुआ है लेकिन इसका बड़ा हिस्सा गोदी मीडिया की श्रेणी में काउंट किया जाता है. गोदी मीडिया ऐसे पत्रकारों और मीडिया हाउसेस को कहा जाता है जो अपनी निष्पक्षता छोड़कर सत्ता के इशारे पर अपनी ख़बरों का विश्लेषण करते हैं. जो लोग निष्पक्ष ख़बरें और विश्लेषण लेकर सामने आते हैं उन्हें कई बार सत्ता का विरोध भी झेलना पड़ता है.
ऐसे लोगों की संख्या भारतीय मीडिया जगत में कम है लेकिन ऐसे लोगों की अगर कोई लिस्ट बनेगी तो उसमें फैक्ट चेकर्स मुहम्मद ज़ुबैर और प्रतीक सिन्हा का नाम ज़रूर शामिल किया जाएगा. ये दो ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपने काम में ईमानदारी दिखाई, और शायद यही वजह है कि ऐसी ख़बर है कि इन दोनों का नाम नोबेल शान्ति पुरूस्कार के दावेदारों में शामिल किया गया है.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि ज़ुबैर और प्रतीक सिन्हा आल्ट न्यूज़ नामक वेबसाइट चलाते हैं. इस वेबसाइट के ज़रिये वो फ़ेक न्यूज़ का फैक्ट चेक किया जाता है. टाइम मैग्जीन के अनुसार, फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्टन्यूज के को-फाउडंर्स, प्रतीक और जुबैर नॉमिनेशन के आधार पर पुरस्कार जीतने के दावेदारों में हैं, जिन्हें नॉर्वेजियन सांसदों के जरिए से पब्लिक किया गया। जुबैर की गिरफ्तारी का मामला पूरी दुनिया में छाया था, जिसका कई संस्थाओं ने विरोध किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, साल 2022 के नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में लगभग 343 उम्मीदवार हैं, जिनमें से 251 व्यक्ति हैं और 92 संगठन शामिल हैं। हालांकि, नोबेल कमेटी नॉमिनेटेड लोगों के नामों का ऐलान नहीं करती है। साथ ही यह जानकारी मीडिया और उम्मीदवारों को भी नहीं दी जाती है। एक रॉयटर्स सर्वे में बेलारूस की विपक्षी नेता स्वियातलाना सिखानौस्काया, ब्रॉडकास्टर डेविड एटनबरो, क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग, पोप फ्रांसिस, तुवालु के विदेश मंत्री साइमन कोफे और म्यांमार की राष्ट्रीय एकता सरकार नार्वे के सांसदों द्वारा नामित लोगों में शामिल हैं।
मालूम हो कि इस साल जून महीने में मोहम्मद जुबैर को साल 2018 में किए गए एक ट्वीट के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने उन पर धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए जानबूझकर काम करने का आरोप लगाया था। इस मामले में एक सोशल मीडिया यूजर द्वारा एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। गिरफ्तारी के बाद लगभग महीनेभर जेल में बिताने के बाद जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी।