चंडीगढ़: आजकल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का पाला आये दिन किसी न किसी वि’वाद से पड़ता है जा रहा है। अभी नावजोत सिंह सिद्धू से चल रहा विवाद शांत भी नही हुआ था कि एक नया विवाद उनके गले पड़ गया है। ये विवाद स्वयं की सरकार द्वारा लिया जाने वाला वह निर्णय है जिसमें कांग्रेस के दो विधायकों के पुत्रों को सरकारी नौकरी देने का निर्णय किया गया है।
पंजाब सरकार ने बीते शुक्रवार को ये फैसला लिया है कि कांग्रेस विधायक अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा और भीष्म पांडे के बेटों को पुलिस इंस्पेक्टर व नायाब तहसीलदार नियुक्त किया जाएगा। क्योंकि उनके दादा की आ’तंकवादियों ने हत्या कर दी थी। सरकार के इस फैसले का चौतरफ़ा वि’रोध हो रहा है। विरोध करने वालों में विपक्षी दल ही नही बल्कि स्वयं सरकार के विधायक भी शामिल हैं।
'No question of rescinding #PunjabCabinet decision on jobs for sons of 2 @INCPunjab MLAs. It is just a small token of gratitude & compensation for the sacrifices of their families. It's shameful that some people are giving political colour to this decision.': @capt_amarinder pic.twitter.com/a83yIIM887
— Raveen Thukral (@RT_MediaAdvPbCM) June 19, 2021
कांग्रेस के दो विधायकों ने कहा है कि सरकार को ‘गलत सलाह’ वाले फैसलों को वापस लिया जाना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जाखड़ ने शनिवार को इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह फैसला “तटस्थता के लोकाचार और संस्कृति” के खिलाफ है. जाखड़ ने कहा कि, “मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह जी को गलत फ़ैसले को पलटना चाहिए, यह फ़ैसला अमरिंदर सिंह और पूरी कांग्रेस पार्टी की तटस्थता और संस्कृति के ख़िलाफ़ है।”
कांग्रेस विधायक कुलजीत नागरा ने भी कहा कि राज्य मंत्रिमंडल को इस फैसले को वापस लेना चाहिए। एक अन्य विधायक अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने भी दोनों विधायकों (बाजवा और पांडे) से अपील की है कि वे अपने बेटों के लिए नौकरी स्वीकार न करें। वहीं दूसरी तरफ़ विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि यह निर्णय कांग्रेस विधायकों की “अपनी कुर्सी बचाने” की वफादारी को “खरीदने” का एक प्रयास है।
अमरिंदर सिंह पिछले कुछ दिनों से विधायकों और सांसदों के साथ बैठकें कर रहे हैं ताकि अगले साल पंजाब चुनाव से पहले असंतोष से निपटने की कोशिश की जा सके। वहीं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, ने यह कहते हुए निर्णय को रद्द करने से इनकार कर दिया कि यह “उनके परिवारों के बलिदान के लिए आभार और मुआवजे का एक प्रतीक है।” मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने सिंह के हवाले से कहा, “कांग्रेस के दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरियों पर पंजाब कैबिनेट के फैसले को रद्द करने का कोई सवाल ही नहीं है। यह उनके परिवारों के बलिदान के लिए कृतज्ञता और मुआवजे का एक छोटा सा प्रतीक है. यह शर्मनाक है कि कुछ लोग इस फैसले को राजनीतिक रंग दे रहे हैं। “