दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो अपने खनिज की वजह से तरक्की पर हैं. इनमें से कई अरब क्षेत्र में हैं. अक्सर करके लोगों को लगता है कि अरब देश अगर है तो वहाँ तेल तो होगा ही होगा. ये बात किसी तरह से सही भी है क्यूंकि अधिकतर अरब देशों में तेल की बहुतायत मात्रा है लेकिन एक ऐसा देश है जहां तेल का नामोनिशान नहीं है. जी हाँ, अरब क्षेत्र में एक ऐसा देश है जिसकी ज़मीन में तेल नहीं है.
हम बात कर रहे हैं जॉर्डन की. मिडिल ईस्ट में जॉर्डन नदी के पूर्वी तट पर स्थित जोर्डन एक ऐसा देश है जिसकी ज़मीन में तेल नहीं है. देश की राजधानी अम्मान उत्तर पश्चिम में स्थित है। जोर्डन की आधिकारिक भाषा अरबी है हालांकि, यहाँ पर लोग अंग्रेजी भी बोलते हैं। यहाँ पर संवैधानिक राजशाही शासन चलता है, यहाँ के राजा हैं अब्दुल्लाह द्वितीय और प्रधानमंत्री हैं नादेर अल-दहाबी।
जॉर्डन मिडिल ईस्ट का इकलौता ऐसा देश है, यहाँ पर नेचुरल आयल और गैस नहीं पाए जाते हैं। तेल न होने की वजह से यहाँ की इकॉनमी सऊदी अरब के मुकाबले काफी कम है।जॉर्डन की सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। यहां का इतिहास ईसाई धर्म के साथ काफी जुड़ा हुआ है। जॉर्डन एक महत्वपूर्ण टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी है क्योंकि यहां पर दुनिया के सात अजूबों में से एक स्थित है (पेट्रा में). एक समय पर जॉर्डन के लोग यहूदी और ईसाई धर्म का पालन करते थे।
मंगोल (1259), क्रूसेडर (1020), अय्यूबी (1170) तथा मामलुक शासन के बाद इस पर 1516 में उस्मानी तुर्कों का अधिकार बना। अरबों के साम्राज्य निर्माण काल में यहाँ इस्लाम का प्रचार हुआ। यहां की कुल आबादी एक करोड़ से ऊपर है जिसमें मुसलमानों की संख्या 90 प्रतिशत से ज्यादा है। जॉर्डन एक ऐसा देश है जहां पर इराक और सीरिया से आए ईसाई धर्म के लोगों को बसने के लिए जगह दी गई।
वेस्ट बैंक का फिलिस्तीनी क्षेत्र एक समय जॉर्डन का हिस्सा था। 1948-49 में अरब-इजरायल संघर्ष के बाद, देश ने वेस्ट बैंक का कब्जा कर लिया – लेकिन 1967 में युद्ध में इजराइल से हार गया। यूं तो जॉर्डन का कल्चर अन्य अरब देशों के साथ काफी मिलता-जुलता है लेकिन यहां का रहन सहन उनसे काफी अलग है यहां के ज्यादातर लोग वेस्टर्न कल्चर से प्रभावित होने के चलते काफी मॉडर्न होते हैं।