हज़रत क़तादह और इब्ने अब्बास के मुताबिक़,आदम को सब से पहले ‘हिन्द’ की ज़मीन में उतारा गया.हज़रत अली फ़रमाते हैं कि-आबो हवा के ऐतबार से बेहतरीन जगह “हिन्द” है इसलिए आदम को वहीं उतारा गया.हज़रत इब्ने अब्बास के मुताबिक़ हज़रत हव्वा को “जद्दाह” अरब में उतारा गया.जिस मैदान में हव्वा,आदम से मिलने के लिए आगे बढ़ीं उसे मैदाने “मुज़दलफ़ाह” का नाम दिया गया और जिस जगह पर आदम और हव्वा ने एक दूसरे को पहचाना उसे “अराफ़ात” का नाम दिया गया.

हज़रत इब्ने अब्बास की रिवायत है कि-पहले आपको एक पहाड़ की चोटी की तरफ़ उतारा गया.फिर उसके दामन की तरफ़ उतारा और ज़मीन पर मौजूद तमाम मख़लूक़ जैसे जिन्न, जानवर, परिन्दे वग़ैरा का मालिक बनाया गया.जब आप पहाड़ की चोटी की तरफ़ से नीचे उतरे तो फ़रिश्तों की मुनाजात की आवाज़ें जो आप पहाड़ की चोटी से सुनते थे आना बंद हो गईं.जब आपने ज़मीन की तरफ़ निगाह उठाई तो दूर तक फैली हुई ज़मीन के अलावा कुछ नज़र न आया और अपने सिवा वहाँ किसी को न पाया तो बड़ी वहशत और अकेलापन महसूस किया और कहने लगे- ऐ मेरे रब!…. क्या मेरे सिवा आपकी ज़मीन को आबाद करने वाला कोई नहीं.

ख़ाना-ए-काबा की तरफ़ जाने का हुक्म-हज़रत इब्ने अब्बास की रिवायत है कि-पहले आपको एक पहाड़ की चोटी की तरफ़ उतारा गया फिर उसके दामन की तरफ़ उतारा और ज़मीन पर मौजूद तमाम मख़लूक़ जैसे जिन्न,जानवर,परिन्दे वग़ैरा का मालिक बनाया गया.जब आप पहाड़ की चोटी की तरफ़ से नीचे उतरे तो फ़रिश्तों की मुनाजात की आवाज़ें जो आप पहाड़ की चोटी से सुनते थे आना बंद हो गईं.जब आपने ज़मीन की तरफ़ निगाह उठाई तो दूर तक फैली हुई ज़मीन के अलावा कुछ नज़र न आया और अपने सिवा वहाँ किसी को न पाया तो बड़ी वहशत और अकेलापन महसूस किया और कहने लगे-ऐ मेरे रब!…. क्या मेरे सिवा आपकी ज़मीन को आबाद करने वाला कोई नहीं.

photo source-google plus

हज़रत आदम का रूप-रंग.-इब्ने अबी हातिम से रिवायत है कि रसूलल्लाह फ़रमाते हैं अल्लाह तआला ने हज़रत आदम को गेहुँआ रंग का, लम्बे क़द का और ज़्यादा बालों वाला बनाया था.

हज़रत आदम और हव्वा का लिबास..-अल्लाह तआला ने फिर उनकी तरफ़ एक फ़रिश्ता भेजा जिसने उन्हें वह चीज़ें बताई जो उनके लिबास की ज़रूरत को पूरा करें.रिवायत है कि यह लिबास भेड़ की ऊन,चौपाओं और दरिंदों की खाल से बना था.लेकिन बाज़ इल्म वालों का कहना है कि यह लिबास तो उनकी औलाद ने पहना था.उनका लिबास तो जन्नत के वही पत्ते थे जो जन्नत से उतरते वक़्त अपने जिस्म पर लपेटे हुए थे.वल्लाहु आलम.

Photo Credit-New Muslim

ख़ुशबू-हज़रत इब्ने अब्बास की रिवायत है कि जब आदम दुनिया में तशरीफ़ लाये तो इनके साथ जन्नत की हवा थी.जो जन्नत के दरख़्तों और वादियों के साथ जुड़ी थी.लिहाज़ा दुनिया में ख़ुशबू जन्नत की हवा की वजह से है.

हजर-ए-असवद-हज़रत आदम जब दुनिया में तशरीफ़ लाये तो हजर-ए-असवद भी आपके साथ था.अबु याहया से रिवायत है कि एक दिन हम मस्जिद-ए-हराम में बैठे हुए थे.हज़रत मुजाहिद रज़ी ने हजर-ए-असवद की तरफ़ इशारा करते हुए फ़रमाया- “तुम इसको देख रहे हो”.मैने कहा- “क्या हजर यानि पत्थर की तरफ़?” उन्होंने फिर फ़रमाया-“अल्लाह की क़सम हज़रत इब्ने अब्बासک ने हम से बयान किया कि “बेशक यह सफ़ेद याक़ूत है जो आदम के साथ जन्नत से आया था वह इसके साथ अपने आँसू साफ़ करते थे.जब आप दुनिया में तशरीफ़ लाये तो आपके आँसू ही नहीं थमते थे.यहाँ तक कि वह दोबारा वापिस लौट गए (यानि दुनिया से पर्दा फ़रमा गए).यह अरसा एक हज़ार साल बनता है इसके बाद फिर कभी इब्लीस उनको बहकाने पर क़ादिर न हो सका.”मैने कहा-“ऐ अबुल हज्जाज ये काला क्यों है”.फ़रमाया-“ज़माना-ए-जाहलियत में हैज़ वाली औरतें इसे छूती थीं.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *