विवादित भाषण के मामले में सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई गई थी, इसके साथ ही उनकी विधानसभा की सदस्यता भी समाप्त कर दी गई थी। लेकिन अब करीब सात महीने बाद इस मामले में रामपुर कोर्ट ने आजम खान को बारी कर दिया है। लेकिन बुरी खबर ये है कि अभी भी आजम खान की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं, क्योंकि कोर्ट ने आजम खान को बरी जरूर किया है, लेकिन उनकी विधायकी बहाल नहीं की गई है और न ही अभी उनको चुनाव लड़ने की इजाजत है।
अधिवक्ता ज़ुबैर से मिली जानकारी के अनुसार अभी आजम खान की विधायकी बहाल नहीं की है। उनका कहना है कि “सपा नेता आजम खान के बारी होने के बाद विधायकी बहाल कराने को लेकर कानूनी पक्ष जाना जाएगा। साथ ही हर पहलू पर विचार किया जाएगा। कानूनी पक्ष जानने के बाद ही आगे की कोई कार्यवाई होगी।” जुबैर के अलावा इस मुद्दे पर अधिवक्ता राजस्व अजय तिवारी ने भी कुछ जानकारी दी है।
अजय तिवारी का कहना है कि “आजम के सेशन कोर्ट से बारी होने के बावजूद उन्हें वापस विधानसभा की सदस्यता नहीं मिल सकती। हां, संबंधित सीट पर निर्वाचन प्रक्रिया पूरी नहीं होती तो राहत मिल सकती थी। लेकिन आजम खान के केस में ऐसा भी नहीं है। यहां निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, आकाश सक्सेना शहर विधायक चुने जा चुके हैं। वहीं, आजम एक अन्य कैसे में मुरादाबाद से सजायाफ्ता हैं।”
उन्होंने आगे बताया कि “15 साल पुराने छजलैट प्रकरण में सपा नेता आजम और उनके बेटे सपा विधायक रहे अब्दुल्लाह को मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 14 फरवरी को 2-2 साल की सज़ा सुनाई थी। स्वार विधायक रहे अब्दुल्लाह की भी सदस्यता समाप्त हो गई थी।” आपको बता दें कि जब आजम खान की सदस्यता समाप्त होने के बाद निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव की घोषणा की थी तो आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और SC ने इस मामले में सेशन कोर्ट को आदेश दिया कि वह आजम खान का पक्ष सुने। लेकिन कोर्ट ने आजम खान के अपील को खारिज कर दिया था।