Fixed Deposit Investment ~ मौजूदा समय में शेयर बाजार में लोगों का इंटरेस्ट काफी बढ़ गया है। इसमें निवेश करना काफी आसान है, जिसके कारण लोग इसमें निवेश करना पसंद करते हैं। लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में निवेश करना पसंद करते हैं। इन लोगों में ज्यादातर मध्यम वर्ग और खासकर बुजुर्ग सबसे ज्यादा शामिल हैं। इनके हिसाब से फिक्स्ड डिपॉजिट सबसे ज्यादा सुरक्षित है।
लेकिन क्या आप जानते हैं.? अगर अपने एफडी करवाई है तो आपको कुछ फॉर्म भी भरना जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो बैंक इस पर टैक्स भी लगा सकती है। आपको बता दें कि कराए गए एफडी की जब अवधि खत्म होती है तो उस पर ब्याज मिलता है। लेकिन अगर तय सीमा से अधिक ब्याज हो जाता है तो इस स्थिति में टीडीएस काट ली जाती है। अगर आप भी चाहते हैं आपकी टीडीएस न काटी जाए तो आपको सिर्फ 2 फॉर्म भरने होंगे।
फॉर्म 15H और फॉर्म 15G, ये दो ऐसे फॉर्म हैं, जिनको एफडी कराते समय भरना काफी जरूरी है। अगर आप इन फॉर्म को नहीं भरते हैं तो बाद में आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। याद रखने वाली बात ये है कि ये फॉर्म हर साल भरना जरूरी है। इससे मेच्योरिटी पर आपका टीडीएस नहीं कटेगा। अब बात करते हैं इन फॉर्म के बारे में, आखिर क्या है ये फॉर्म 15H? तो चलिए जानते हैं।
इस फॉर्म को 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले लोग भर सकते हैं। ये फॉर्म एक डीक्लेरेशन फॉर्म है जो आयकर अधिनियम 1961 के अंदर धारा 197A के तहत आता है। ये फॉर्म टीडीएस कटौती को रोक सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों को भी रखा गया है। शर्तों के मुताबिक लाभार्थी का पिछले साल का एस्टीमेट टैक्स शून्य होना चाहिए और उसने पिछले साल इनकम टैक्स रिटर्न न भरा हो।
फॉर्म G की बात करें तो ये भी आयकर अधिनियम 1961 के अंदर धारा 197A के अंडर आता है। इस फॉर्म को टैक्स बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और आप इसको भरकर अपने इनकम पर टीडीएस को कटने से बचा सकते हैं। हिन्दू अविभाजित परिवार का कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 60 साल से कम है, वो इस फॉर्म को भर सकता है। Fixed Deposit Investment