इंदिरा गांधी के पति को मुस्लिम बताना क्या एक साज़िश का हिस्सा है? जानिए फ़िरोज़ गांधी से जुड़ी हर बात..

फ़िरोज़ गांधी कौन थे? (Firoz Gandhi koun the? )

मीडिया और सोशल मीडिया सब जगह पर आपको झूठ फैलाती हुई बातें ख़बरों के नाम पर मिल जाती हैं। इसी तरह की एक फ़र्ज़ी बात जो सालों से इधर उधर सुनने या पढ़ने को मिल जाती है कि इंदिरा गांधी के पति का नाम फ़िरोज़ (Firoz Gandhi koun the?) था और वो मुस्लिम थे। यूँ तो किसी के मुस्लिम या हिन्दू होने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन ‘इस्लामोफ़ोबिया’ से पीढ़ित समाज इन सब बातों के ज़रिए अपने अंदर के फ़ोबिया को संतुष्ट करता है। इन सब के फ़ोबिया को छोड़िए, हम बात करते हैं उस बात की जो ज़रूरी है और जिसको जानना चाहिए…

इंदिरा गांधी के पति का नाम फ़िरोज़ जहांगीर गांधी था और वो मुस्लिम नहीं बल्कि पारसी धर्म को मानने वाले व्यक्ति थे। 12 सितंबर 1912 को फ़िरोज़ गांधी का जन्म बॉम्बे के तेहमूलजी नरीमन हॉस्पिटल में हुआ। पाँच भाई-बहन में फ़िरोज़ सबसे छोटे थे। कुछ समय बाद परिवार बम्बई से भरूच के अपने पुश्तैनी घर में शिफ़्ट हो गया। पिता की मौत के बाद फ़िरोज़ और उनकी माँ रति माई इलाहाबाद शिफ़्ट हो गए।

आज़ादी के आन्दोलन के लिए छोड़ी पढ़ाई

नौजवान फ़िरोज़ ने आज़ादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू किया। फ़िरोज़ की इंदिरा से पहली मुलाक़ात तब हुई जब वो इविंग क्रिस्चियन कॉलेज के बाहर प्रदर्शन कर रहीं थीं। इंदिरा के साथ उनकी माँ कमला भी थीं, तेज़ धूप की वजह कमला बेहोश हो गईं। फ़िरोज़ ने जैसे ही कमला को देखा, वो पास पहुँचे और कमला को सहारा दिया। आज़ादी के आंदोलन के लिए फ़िरोज़ ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। वो महात्मा गांधी से इतना प्रेरित थे कि अपने नाम की स्पेलिंग को Ghandy से Gandhi कर दिया।

फ़िरोज़ 1930 में लाल बहादुर शास्त्री के साथ जेल गए। यूनाइटेड प्रोविंस में जब नो रेंट कैम्पेन चलेया तो उसमें भी वो दो बार जेल गए। देश की आज़ादी के लिए एक तरफ़ वो संघर्ष कर रहे थे तो दूसरी तरफ़ उनका दिल इंदिरा के लिए धड़क रहा था। 1933 में उन्होंने इंदिरा को प्रपोज़ किया, तब इंदिरा 16 साल की थीं… इंदिरा गांधी ने इनकार कर दिया। (Firoz Gandhi koun the)

इंदिरा गांधी का कहना था कि अभी वो बहुत छोटी हैं। फ़िरोज़ लेकिन नेहरू परिवार के नज़दीक ही रहे, कमला नेहरू उन्हें बहुत पसन्द करती थीं। जब कमला नेहरू बीमार हुईं तो न सिर्फ़ फ़िरोज़ ने उनकी सेवा की, बल्कि यूरोप में उनके इलाज तक का बंदोबस्त किया और जब सन 1936 में उनका निधन हुआ तो फ़िरोज़ उनके पास ही थे।

वक़्त के साथ साथ फ़िरोज़ और इंदिरा के बीच नज़दीकियां बढ़ने लगीं और मार्च, 1942 में उन्होंने शादी कर ली। जवाहर लाल नेहरू इस शादी के सख़्त ख़िलाफ़ थे। नेहरू ने महात्मा गांधी से इस सिलसिले में बात की कि वो इंदिरा को मनाएँ लेकिन गांधी जी ने नेहरू की बात नहीं मानी। इंदिरा और फ़िरोज़ शादी के तुरंत बाद अंग्रेजों के ख़िलाफ़ ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल हुए और शादी के 6 महीने के भीतर ही गिरफ़्तार हो गए। एक साल तक जेल में रहने के बाद दोनों रिहा हुए।

सन 1944 में इंदिरा ने राजीव गांधी को जन्म दिया, 1946 में संजय गांधी का जन्म हुआ। फ़िरोज़ आज़ादी के बाद भी राजनीतिक तौर पर सक्रिय रहे। 1952 में वो राय बरेली से लोकसभा पहुँचे, 1957 में एक बार फिर राय बरेली से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुँचे। उन्होंने कई मौक़ों पर नेहरू सरकार का खुलकर विरोध किया। उन्होंने लाइफ़ इन्शुरन्स कॉर्पोरेशन के राष्ट्रीयकरण में मुख्य भूमिका निभाई। एक समय उन्होंने माँग कर दी थी कि टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी यानी टेल्को का राष्ट्रीयकरण किया जाए क्यूँकि ये जापानी रेल इंजन का दुगना पैसा चार्ज करती है। फ़िरोज़ के इस प्रस्ताव से पारसी कम्युनिटी को बड़ा झटका लगा क्यूँकि फ़िरोज़ की ही तरह टाटा परिवार भी पारसी है। वो लगातार सरकार को अलग अलग मौक़ों पर आईना दिखाते रहे। इसीलिए उनका सम्मान पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद करते थे।

1958 में उनको दिल का दौरा पड़ा। तब इंदिरा स्टेट विज़िट पर विदेश में थीं, ये ख़बर सुनकर वो तुरंत देश लौटीं। 1960 में उन्हें दूसरा दिल का दौरा पड़ा और दिल्ली के वेलिंगटन अस्पताल में उनका निधन हो गया।
Firoz Gandhi koun the

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