बेंगलुरु: कर्णाटक(Karnataka) की भारतीय जनता पार्टी(BJP) की सरकार ने अपने फ़ैसले को पलटते हुए निर्णय लिया है कि श्रमिक ट्रेनों को चलाया जाएगा. राज्य में फँसे प्रवासी मज़दूरों की अपने गृह राज्यों में वापसी के लिए ये ट्रेनें शुरू हुईं थीं लेकिन कर्णाटक सरकार ने इन्हें रोक दिया था. मुख्यमंत्री बीएस येदयुरप्पा की सरकार ने ये फ़ैसला बिल्डरों के एक समूह से मीटिंग के बाद किया था. सरकार के इस फ़ैसले की चौ-तरफ़ा निंदा हुई. इस सिलसिले में अब नया आदेश आया है.
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो सरकार ने गुरुवार को झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा को पत्र लिखकर उन्हें इस फ़ैसले से अवगत कराया और कामगारों को भेजे जाने के संबंध में उनसे सहमति मांगी है. इस सिलसिले में राज्य के प्रमुख राजस्व सचिव एवं प्रवासी श्रमिकों से संबंधित मुद्दों के लिए नोडल अधिकारी एन मंजूनाथ प्रसाद ने अलग-अलग राज्यों को पत्र लिखकर उनसे इस विषय में ट्रेनों की आवाजाही की मंज़ूरी के लिए कहा.
इसके पहले येदयुरप्पा सरकार ने एक अजीब ओ ग़रीब फ़ैसले में प्रवासी मज़दूरों के लिए स्पेशल ट्रेनों पर रोक लगा दी. सरकार के इस फ़ैसले को घोर-पूँजीवाद का नाम दिया गया. सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना का असर ही है कि भाजपा सरकार ने अपने फ़ैसले को वापिस लिया. ध्यान देने की बात है कि भाजपा समर्थक माने जाने वाले मीडिया हाउसेस ने इस सम्बन्ध में कोई डिबेट या प्रोग्राम नहीं किया. हालाँकि विपक्ष और आम लोगों ने जिस तरह से सोशल मीडिया पर सरकार को घेरा, सरकार को अपना फ़ैसला वापिस लेना पड़ा.
अब तक चलीं 189 स्पेशल ट्रेनें..
भारतीय रेलवे ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि एक मई से अब तक 189 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे 1.90 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह नगर पहुंचाया है. रेलवे ने कहा कि उसने बुधवार को 56 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं। गुरुवार सुबह तक 22 ऐसी ट्रेनें चलाई जा चुकी थीं. प्रत्येक विशेष ट्रेन में 24 डिब्बे हैं जिनमें से हर एक डिब्बे में 72 सीटें हैं. लेकिन सामाजिक दूरी के नियम का पालन करने के लिए एक डिब्बे में केवल 54 लोगों को ही यात्रा की अनुमति है और मिडल बर्थ किसी भी यात्री को नहीं दी जा रही है.