राजनीति एक ऐसी जगह है जहाँ आए दिन बदलाव होते रहते हैं। कई सालों से किसी एक पार्टी से सम्बंधित नेता कब दूसरी पार्टी में शामिल हो जाएँ ये किसी को पता नहीं होता। सियासी दाँवपेंच समझना हर एक के बस की बात नहीं है ख़ासकर छोटे नेता अक्सर अपनी सियासी पारी भारी पलड़ा देखकर चलते हैं। उनकी नज़र में अक्सर पार्टी से ज़्यादा अहमियत पद की होती है और ऐसे में वो जल्द से जल्द पार्टी बदलने की फ़िराक़ में रहते हैं।
लेकिन कोई नेता यूँ ही पार्टी को धोका देना चाहे और उसका दाँव चल जाए फिर तो पार्टी के दिग्गज नेताओं का क्या काम होगा। जी हाँ, पार्टी के दिग्गाज नेता ऐसे हर नेता को पहचानते हैं जो विपरीत वक़्त में साथ छोड़ने के लिए तैयार हो सकता है। तभी तो ऐसे हर दाँव को फ़ेल करने का गुर दिग्गज नेता जानते हैं। ये ख़बर भी कुछ ऐसी ही है। कांग्रेस में शामिल होकर अपनी सियासी राजनीति शुरू करने वाले अल्पेश ठाकोर ऐसे नेता है जो चर्चाओं में हमेशा रहते है।

अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस में शामिल होकर विधानसभा का चुनाव जीत लिया लेकिन अब वो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे है वही उन्होंने कांग्रेस पार्टी से तो इस्तीफ़ा दे दिया है लेकिन वो अभी भी विधायक बने है कांग्रेस ने अल्पेश ठाकोर की सदस्यता रद्द करनवाने के लिए कमर कस ली है। कांग्रेस के पूर्व विधायक अल्पेश ठाकोर को हाईकोर्ट ने नोटिस भेजा है। नोटिस में अल्पेश ठाकोर की विधायकी रद्द करने की बात कही गई है। साथ ही इस मामले में दाखिल की गई एक अर्जी को भी कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अल्पेश ठाकोर के अलावा विधानसभा के अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी को भी कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
अब इस केस की 27 जून को सुनवाई होने वाली है। मालूम हो कि पिछले लोकसभा चुनाव दौरान अल्पेश ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया था,लेकिन राधनपुर से वह कांग्रेस के विधायक पद पर बने हुए हैं। कांग्रेस ने पहले विधानसभा के अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी को पत्र लिखकर अल्पेश को विधायक पद से हटाने के लिये आवेदन किया था लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस की अर्ज़ी को तकनीक वजहों से रिजेक्ट कर दिया था। माना जा रहा है कि अल्पेश ठाकोर भाजपा में जुड़ने वाले थे,लेकिन पाँच बार वादा करके वह मुकर गये।

आख़िरकार लोकसभा के चलते उन्होंने अपना त्यागपत्र कांग्रेस को दे दिया था.हालाँकि,अल्पेश ने विधायक पद से इस्तीफ़ा देने से इनकार किया था। गुजरात में अल्पेश ठाकोर को राज्य ठाकोर सेना का युवा नेता बनाया गया था। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के साथ अल्पेश ने भी अपने समाज के लिये आंदोलन में हिस्सा लिया था।अल्पेश ने अपनी राजकीय महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिये पहले कांग्रेस फिर भाजपा के नेताओं के साथ सौदेबाज़ी की थी।अल्पेश बार बार ऐसा कहते रहे हैं कि, वह भाजपा से जुड़ने वाले नहीं हैं, लेकिन लोकसभा के चुनावों में उसने भाजपा के उम्मीदवार को जिताने के लिये प्रयास किये थे।