हरियाणा में भाजपा ने शुरुआत में जो बढ़त बनाई थी अब वो क़ायम होती नहीं दिख रही है. एक समय काफ़ी पीछे चल रही कांग्रेस अब भाजपा के मुक़ाबले पर खड़ी हो गई है और भाजपा बहुमत से पिछड़ गई है. सुबह जो रूझान आ रहे थे उसके मुताबिक़ भाजपा ने बड़ी बढ़त बनाई थी. पर अब जो रूझान हैं वो बिलकुल अलग हैं.
भाजपा इस समय सबसे बड़ी पार्टी हालाँकि बनी हुई है. भाजपा 40 सीटों पर आगे है जबकि कांग्रेस 33 सीटों पर आगे है. पिछली बार की तुलना में कांग्रेस को 15 सीटों की बढ़त है. जेजेपी 9 सीटों पर आगे चल रही है जबकि इनलो-अकाली 1 सीट पर सिमटती दिख रहे हैं. आपको बता दें कि हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं और बहुमत के लिए 46 सीटें होना ज़रूरी हैं.
दूसरी ओर महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को आसानी से बहुमत मिलता दिख रहा है. भाजपा-शिवसेना गठबंधन 167 सीटों पर आगे है, भाजपा को 104 और शिवसेना को 63 सीटें मिलती दिख रही हैं. भाजपा को अब तक 18 सीटों का नुक़सान दिख रहा है जबकि शिवसेना किसी फ़ायदे नुक़सान में नहीं है. कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन 89 सीटों पर आगे है. एनसीपी 50 और कांग्रेस 37 सीटों पर आगे चल रही है. सीपीएम और सपा भी इस गठबंधन में शामिल हैं, उन्हें भी एक-एक सीट पर बढ़त हासिल है.
पिछली बार की तुलना में एनसीपी को 11 का फ़ायदा है जबकि कांग्रेस को 6 का नुक़सान है. वंचित बहुजन अघादी को 3 सीटों पर बढ़त हासिल है. बहुजन समाज पार्टी 5 और आल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुस्लिमीन 3 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में आल इंडिया मजलि ए इत्तिहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असद उद्दीन ओवैसी ने बढ़-चढ़ कर प्रचार किया था.
यहाँ एक बात और ध्यान देने वाली है कि चुनाव से पहले कई एनालिस्ट कह रहे थे कि एनसीपी अब ख़त्म हो गई है परन्तु जिस प्रकार एनसीपी ने चुनाव में वापसी की है और अपनी सीटों पर भाजपा-शिवसेना को टक्कर दी है उसके बाद ये साफ़ है कि अभी भी शरद पवार का रसूख महाराष्ट्र की राजनीति में क़ायम है. हालाँकि एनसीपी और कांग्रेस सत्ता की चाबी से तो बहुत दूर नज़र आ रहे हैं लेकिन भाजपा-शिवसेना का परफॉरमेंस किसी भी तरह वैसा नहीं दिख रहा है जैसा लोकसभा चुनाव के समय था.