पटना: बीते दिनों लोकजनशक्ति पार्टी में फू’ट पड़ गई। जिसके बाद चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस ने चिराग को उनके पद से हटा दिया। पशुपति ने ख़ुद को अब संसदीय दल का नेता घो’षित कर दिया। जिसके बाद वह पार्टी के नए नेता भी चुन लिए गए हैं। इसी बीच पशुपति ने कहा की वह केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होने जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब वह मंत्रिमंडल में शामिल हो जाएंगे तब उसी समय संसदीय दल के नेता पद से इस्तीफा दे देंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गृह मंत्री अमित शाह समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों के साथ कई बैठको के दौर हुए थे। जिसके बाद से ही यह अ’टकलें लगाई जा रही है कि पीएम मोदी की कैबिनेट में विस्तार होने जा रहा है। बीजेपी नेता मंत्रिमंडल में मंत्री पद मिलने को लेकर किसी भी अटकलों की तरफ ध्यान नही दे रहे। उनका कहना है कि सिर्फ दो लोग जानते हैं कि कब कैबिनेट में बदलाव होगा और मंत्रिपद किसको मिलेगा। ऐसे में पशुपति पारस का ऐलान लापरवाही दर्शाता है।
पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बनने वाले हैं इसलिए घोषणा उन्होंने अपने अंदाज़ में किया और कहा कि उसके बाद वो संसदीय दल के नेता से इस्तीफ़ा दे देंगे @ndtvindia @Anurag_Dwary pic.twitter.com/TrDgo7x0j1
— manish (@manishndtv) June 18, 2021
बिहार में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने बीजेपी आलाकमानों को यह संदेश दिया है कि अगर एकतरफा पशुपति के समर्थन में चिराग के खिलाफ होना भूल होगी। बिहार बीजेपी ने दलित विधायकों से चिराग और पशुपति को लेकर चर्चा की। जिसमें दलित विधायकों ने कहा कि दलित और पासवान वर्ग चिराग के समर्थन में रहेगा। बिहार बीजेपी ने केंद्रीय नेतृत्व से कहा कि, पशुपति को केंद्रीय मंत्री बनाकर चिराग के खिलाफ जाना नु’कसान भरा भी हो सकता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जो पासवान वोटर्स बिजेपी उम्मीदवारों के समर्थन में उतरा था, उसका नुक़सान आगे उठाना पड़ सकता है। जबकि पशुपति की भूमिका जन नेता की बजाय पर्दे के पीछे की रही है। पशुपति की उम्र और सेहत भी एक पहलू है जिसपर ध्यान दिया जाना चाहिए।