पश्चिम एशिया के देश इज़राइल में राजनीतिक संकट गहराया हुआ है. एक साल के भीतर दो चुनाव हो चुके हैं लेकिन कोई भी सरकार बनाने में कामयाब नहीं रहा है. यही वजह है कि ऐसी संभावनाएँ निकल रही हैं कि फ़रवरी के अंत या मार्च के शुरू में एक बार फिर आम चुनाव हो सकते हैं.जानकार मानते हैं कि किसी प्रकार का गठबंधन न हो पाने के पीछे लिकुद पार्टी के नेता और प्रधानमन्त्री बेन्यामिन नेतान्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और उस पर नेतान्याहू कैम्प की डिमांड की उन्हें इम्युनिटी दी जाए.
सूत्रों के मुताबिक़ यूनिटी गवर्नमेंट के लिए जब ब्लू एंड वाइट पार्टी के बैनी गैन्त्ज़ उनसे मिले तो उनका रवैया गैन्त्ज़ को पसंद नहीं आया.यही वजह है कि ब्रोड यूनिटी नहीं स्थापित हो सकी. अभी भी इस तरह की कोशिशें हैं कि सरकार का गठन हो जाए. परन्तु अब अधिकतर राजनीतिक विश्लेषकों ने मान लिया है कि बिना नेतान्याहू की ज़िद छोड़े कोई भी समझौता संभव नहीं है. मीडिया में अब इस तरह की ख़बरें भी आ रही हैं कि लिकुद पार्टी के कुछ नेता चाहते हैं कि नेतान्याहू लिकुद पार्टी की सदस्यता छोड़ दें.
ऐसा होता है तो नेतान्याहू के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. नेतान्याहू को फ़िलिस्तीन वि’रोधी नेता माना जाता है और वो अक्सर इस तरह के बयानों की वजह से विवा’दों में रहते हैं. वो जब भी किसी मामले में फंसते दिखते हैं तो वो कुछ इसी तरह का बयान दे देते हैं. पिछले दिनों उन पर भ्रष्टाचार के मामलों में जाँच के आदेश हो चुके हैं. इज़राइली संसद जिसे क्नेस्सेट कहते हैं उसमें कई पार्टियां प्रभावी हैं.
120 सीटों वाली क्नेस्सेट में लिकुद को 32 और ब्लू एंड वाइट गठबंधन की 33 सीटें हैं. जॉइंट लिस्ट जिसमें कई अरब पार्टियाँ हैं, के पास 13 सीटें हैं. अविग्दोर लिबेरमैन की पार्टी इज़राइल बेतेनु के पास भी आठ सीटें हैं. लेबर गेशेर के पास पाँच और डेमोक्रेटिक यूनियन के पास भी पाँच सीटें हैं. इससे पता चलता है कि 120 सीटों की क्नेस्सेट में कितनी पार्टियों ने अपनी जगह बनाई हुई है.