नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है. मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव को विकास के मुद्दों पर लड़ा और इनमें सबसे ज़्यादा चर्चा जिस काम की उन्होंने की वो था मुहल्ला क्लिनिक. मुहल्ला क्लिनिक को लेकर हमेशा से ही आम आदमी पार्टी के लोगों में एक तरह का प्राउड देखने को मिलता है. वो बार-बार इस बात को कहते हैं कि अरविन्द केजरीवाल ने मुहल्ला क्लिनिक खोला जिसकी तारीफ़ सारी दुनिया में हो रही है.
परन्तु जब देश में कोरोना वायरस ने दस्तक दी तो इस तरह के कई दावों की पोल खुली. दिल्ली में मुहल्ला क्लिनिक के दो डॉक्टरों को कोरोना संक्रमित पाया गया. ये दोनों पति-पत्नी हैं. इस मामले के बाद ये सवाल ज़ोर शोर से उठ रहे हैं कि दिल्ली के ये मुहल्ला क्लिनिक कितने सुरक्षित हैं. असल में ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्यूँकि दिल्ली सरकार ने कई सारे मामलों पर अपना पल्ला तो झाड़ा ही है, साथ ही अपनी ज़िम्मेदारी कई और जगह शिफ्ट की है.
निज़ामुद्दीन मरकज़ में संक्रमित लोग जब मिले तो केजरीवाल को जैसे मौक़ा मिल गया और उनकी सरकार के लोगों ने ये कहना शुरू कर दिया कि सारी ग़लती मरकज़ और तबलीग़ जमात की है. हालाँकि विश्व स्वास्थ संगठन इस बात को बार बार कह रहा है कि इस वायरस को लेकर ऐसी बातें न की जाएँ जिससे कि समाज में ग़लत भावना पैदा हो. ऐसा लगता है कि केजरीवाल अपनी सरकार की कोई भी नाकामी देखना नहीं चाहते और वो अपनी ज़िम्मेदारी दूसरे पर शिफ्ट करना चाहते हैं.
ऐसी ख़बरें भी हैं कि मुहल्ला क्लिनिक फ़िलहाल बंद कर दिए गए हैं. वहीँ केजरीवाल ने ये बयान दिया है,”यह दुख की बात है कि मुहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर, उनकी पत्नी और बेटी को कोरोना संक्रमित पाया गया है लेकिन एक ग़लतफ़हमी फैल रही है कि मुहल्ला क्लीनिक बंद किए जा रहे हैं. मुहल्ला क्लीनिक बंद होने से लोगों को दूर-दूर बड़े अस्पतालों में जाना पड़ेगा. मुहल्ला क्लीनिक खुले रहेंगे. वहां मौजूद डॉक्टर और बाकी स्टाफ़ ज़रूरी एहतियात बरतेंगे जिससे डॉक्टर भी सुरक्षित रहें और मरीज़ों को भी दिक्क़त न हो.”