मुंबई: शिवसेना-एनसीपी की साझा कांफ्रेंस शुरू हो गई है. इस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा कि अजीत पवार का फ़ैसला पार्टी लाइन के ख़िलाफ़ है. उन्होंने कहा कि कोई भी एनसीपी नेता या कार्यकर्ता एनसीपी-भाजपा की सरकार के समर्थन में नहीं है. शरद पवार ने कहा कि कांग्रेस, शिवसेना, और एनसीपी साथ आकर सरकार बना सकते हैं और हमारे पास नंबर थे. उन्होंने कहा कि हमारे पास तो ऑफिशियल नंबर हैं- 44, 56, और 54 विधायक हैं और कई अन्य का समर्थन मिलाकर ये आँकड़ा 170 के पार जाता है.
इस प्रेस वार्ता में एनसीपी के विधायक राज्नेद्र शिन्गाने ने एक बड़ा बयान दिया है. शिन्गाने पवार के साथ राज भवन गए थे. उन्होंने बताया कि अजीत पवार का फ़ोन मेरे पास आया कि कुछ डिस्कस करना है और वहाँ से मुझे राज भवन ले जाया गया और जब तक मुझे पता चलता शपथ ग्रहण हो गया था.. फिर मैं जल्दी से पवार साहब के पास गया और उनसे कहा कि मैं शरद पवार और एनसीपी के साथ हूँ.
पवार ने इसके अतिरिक्त कहा कि मुझे यक़ीन है कि राज्यपाल ने बहुमत सिद्ध करने का मौक़ा दिया है और वो बहुमत सिद्ध नहीं कर पाएँगे..उसके बाद हम तीनों पार्टी मिलकर सरकार बनायेंगे. पवार से जब पूछा गया कि क्या आप अपने विधायकों को बचाने के लिए उन्हें होटल वग़ैरा में ठहराएंगे तो उन्होंने कहा कि हमसे जो बन पड़ेगा सब करेंगे.पवार ने कहा कि एक नया लेजिस्लेटिव पार्टी नेता पार्टी चार बजे चुनेगी.
शिवसेना के वरिष्ठ नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि पहले EVM का खेल चल रहा था और अब ये खेल चल रहा है.. आगे तो चुनाव की ज़रूरत ही नहीं है..सभी जानते हैं छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ धोका हुआ है और उन्हें पीठ में छुरा घोंपा गया है. पवार ने कहा कि मेरी जानकारी के मुताबिक़ पवार के साथ 10-12 विधायक थे जिनमें से तीन तो अभी ही यहाँ खड़े हैं.
इसके पहले महाराष्ट्र की सियासत में भाजपा और अजीत पवार ने मिलकर जो खेल खेला उससे शिवसेना और कांग्रेस ही नहीं बल्कि कई भाजपा नेता भी हैरान हैं. एनसीपी नेता अजीत पवार ने पार्टी के कुछ विधायकों को अपने साथ मिलाकर भाजपा से हाथ मिला लिया. इसके बाद उन्होंने ये भी कहा कि इसमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार की भी हामी है. परन्तु शरद पवार ने बयान जारी कर कहा कि भाजपा के साथ जाने का फ़ैसला अजीत पवार का है और पार्टी का नहीं.
इस मामले में अपना पक्ष रखने शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत सामने आये. उन्होंने कहा,”अजित पवार कल रात नौ बजे तक हमारे साथ बैठे थे और फिर अचानक वो निकल गए। उनकी बॉडी लेंगवेज सही नहीं लगी। उसके बाद से उनका फ़ोन बंद आ रहा था। जैसे कोई इंसान पाप करने जाता है वैसे ही उन्होने किसी से नज़रें नहीं मिला रहे थे। अंधेरे में पाप, चोरी, डकैती और व्यभिचार होता है, जिस तरह से अंधेरे में शपथ दिलायी गयी वो छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में ऐसा नहीं हो सकता था।”