महाराष्ट्र में चल रहे सियासत के टेस्ट मैच में अब नतीजा आ गया है. इस बात का फ़ैसला हो गया है कि महाराष्ट्र की सत्ता किसके हाथ होगी. महाराष्ट्र में एक नया गठबंधन वजूद में आया है जिसका नाम है महाराष्ट्र विकास अघादी. इस गठबंधन में प्रमुख तौर पर तीन दल हैं जिनमें शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी शामिल हैं. देखा जाए तो इस पूरे खेल में कांग्रेस ने समझदारी से अपने क़दम बढ़ाए और एक सहयोगी होने की पूरी ज़िम्मेदारी कांग्रेस ने निभाई लेकिन जिस तरह से एनसीपी और शिवसेना ने मैच को कण्ट्रोल किया ये भाजपा को बड़ा झटका दे गया.
एनसीपी नेता शरद पवार ने जिस चतुराई से भाजपा की हर कोशिश को फ़ेल किया और उनके मुँह से जीत का लड्डू छीना, वो एक बार फिर साबित करता है कि महाराष्ट्र में एक ऐसा चाणक्य है जो भाजपा के धुरंदर चाणक्यों को बुरी तरह हरा सकता है.भाजपा ने बार-बार अमित शाह को आधुनिक राजनीति का चाणक्य बताया है लेकिन जिस तरह से शरद पवार ने उन्हें उन्हीं के गेम में हरा दिया इसके बाद भाजपा के नेता चाणक्य नाम लेना भी अच्छा नहीं समझ रहे.
परन्तु इस पूरे खेल में एक और नेता है जिसको भाजपा ने शुरू से ही बहुत कोसा. शिवसेना नेता संजय राउत को भाजपा ने शुरू से ही इस तरह पेश किया मानो वो ही उद्धव ठाकरे को भड़का रहे हैं. उनका मज़ाक़ भी उड़ाया गया और मीडिया के एक गुट ने भी राउत को निशाना बनाया. राउत ने लेकिन ये फ़ैसला कर लिए था कि हो कुछ भी जाए वो तो वही करेंगे जो उन्होंने तय किया है. जब अचानक ये ख़बर आयी कि अजीत पवार भाजपा से मिल गए हैं और देवेन्द्र फडनवीस ने शपथ ले ली है तब भी राउत ही ऐसे पहले नेता थे जिन्होंने कहा था कि शरद पवार का इससे कोई लेना देना नहीं है.
शरद पवार जहाँ हर एक चाल को बारीकी से चल रहे थे वहीँ राउत उनके साथ हर मौक़े पर खड़े थे. राउत ने ही घोषणा की कि होटल ग्रैंड हयात में उनके गठबंधन के 162 विधायक एक साथ आएँगे. इस एलान ने भाजपा नेताओं को बेचैन कर दिया. जब शाम को विधायकों का जमावड़ा हुआ तो एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस ने भाजपा को बुरी तरह पीछे कर दिया. टीवी पर जब इसका प्रसारण हुआ तब भाजपा की साख पर इससे असर पड़ा.
जानकार मानते हैं कि शरद पवार और संजय राउत ने ही ये प्लान बनाया कि विधायकों को बजाय छुपाने के सामने कर दो. भाजपा जहाँ ये सोच रही थी कि कौन सा विधायक कौन से होटल में छुप के बैठा है, इन तीनों दलों के एलान ने भाजपा के सारे प्लान की हवा निकाल दी. संजय राउत ने अपने आपको एक कुशल रणनीतिकार साबित किया है. उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने में अगर किसी का सबसे बड़ा हाथ है तो वो उन्हीं का है.