नागरिकता संशोधन का’नून (सीएए) को लेकर केंद्र सरकार घि’री हुई है. केंद्र सरकार के मंत्री लोगों को ये कह रहे हैं कि ये क़ानू’न किसी भारतीय का बुरा नहीं करेगा वहीँ वो किसी प्रद’र्शनकारी से मिलने की भी कोशिश नहीं कर रहे हैं. नागरिकता संशो’धन क़ानू’न की अपने में सबसे बड़ी सम’स्या ये है कि ये ध’र्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है. इसके वि’रोधी कहते हैं कि ये संविधान की मूल भावना को ठे’स पहुँचाता है. परन्तु लोगों की स’मस्या NRC और NPR से है.
CAA को जब NRC या NPR से मिला देते हैं तो ये नागरिकता छी’नने वाला क़ा’नून भी बनता दिखता है. मोदी सरकार में गृह मंत्री अमित शाह बार बार बड़े तेवर से ये कहते रहे थे कि पहले CAB आएगा, फिर NRC आयेगा लेकिन आ’न्दोलन जैसे ही शुरू हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने NRC के बारे में कह दिया कि इस पर तो चर्चा ही नहीं हुई. जानकार मानते हैं कि सरकार में भी कई लोगों को CAA और NRC ग़ैर-ज़रूरी बवाल लगते हैं लेकिन अमित शाह ने इसे अपनी साख का विषय बना लिया है.
भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता ने नाम न लिए जाने की शर्त पर कहा कि इस तरह से सरकार नहीं चलती, जनता हमारे ख़ि’लाफ़ हो गई तो फिर किस काम का होगा ये क़ानू’न. जहां भाजपा में अन्दर अन्दर खींचतान चल रही है वहीँ माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ ने भी CAA को लेकर बयान जारी किया है. सीईओ सत्य नाडेला ने अपने बयान में कहा,”हर देश को अपनी सीमा’ओं को परिभाषित करना चाहिए और राष्ट्रीय सुर’क्षा की र’क्षा करनी चाहिए और उसके अनुसार आप्र’वासियों की नीति निर्धारित करनी चाहिए. लोकतंत्र में यह एक ऐसी चीज है जिस पर जनता और तत्कालीन सरकारें बहस करेंगी और अपनी सीमाओं के भीतर परिभाषित करेंगी.”
आगे सत्या नाडेला कहते हैं,”मैं अपनी भारतीय विरासत से जुड़ा हूं. एक बहुसांस्कृतिक भारत में बढ़ा हूं और अमेरिका में मेरा आप्रवासी अनुभव है. मेरी आशा एक ऐसे भारत की है, जहां एक आप्रवासी स्टार्ट-अप को शुरू कर सकता हो या एक एमएनसी का नेतृत्व कर सकता हो, जिससे भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर फायदा हो.”
इससे पहले सत्या नडेला ने एक कार्यक्रम में कहा था,”मुझे लगता है कि जो हो रहा है वह दु’खद है…यह बुरा है….मैं एक ऐसे बांग्ला’देशी आप्रवासी को देखना पसंद करूंगा जो भारत में आता है और इंफोसिस का अगला सीईओ बनता है. यह आकांक्षा होनी चाहिए. अमेरिका में मेरे साथ क्या होता, मुझे उम्मीद है कि भारत में भी ऐसा ही होता.”
इसी कार्यक्रम में सत्या नडेला ने कहा था, ‘मुझे उस जगह पर बहुत गर्व है, जहां मुझे अपनी सांस्कृतिक विरासत मिलती है और मैं एक शहर, हैदराबाद में पला-बढ़ा हूं. मुझे हमेशा लगा कि यह बड़ा होने के लिए एक शानदार जगह है. हमने साथ मिलकर ईद, क्रिसमस, दिवाली- तीनों त्यौहार मनाए, जो हमारे लिए बड़े हैं.’ उन्होंने साथ ही कहा कि ये अच्छी बात है कि लोग इस पर बहस कर रहे हैं.