38 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने में असफल हुई भाजपा, इस कारण कांग्रेस से पीछे रही पार्टी…

कर्नाटक में कांग्रेस जीत का जश्न मनाने लगी है। शुरुआती रुझानों के मुताबिक कांग्रेस अब तक पूर्ण बहुमत हासिल कर चुकी है और अगर ये रुझान नतीजे में तब्दील हो जाते हैं तो बीजेपी का पत्ता साफ हो जाएगा। आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक में 38 साल पुरानी परंपरा तोड़ने के काफी नजदीक थी। लेकिन अब वह इस परंपरा को तोड़ने में सफल नहीं हो सकती है।

अगर इतिहास के पन्नों को पलट के देखा जाए तो साल 1985 के बाद से कर्नाटक में आज तक कोई भी पार्टी लगातार दो बार सत्ता पर काबिज नहीं हो पाई है। लेकिन बार भाजपा नेता काफी यकीन के साथ बोल रहे थे कि कर्नाटक में बीजेपी की ही जीत होगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और भारतीय जनता पार्टी 38 सालों से चलती आ रही इस परंपरा को तोड़ने में असफल रही।

आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो अब तक कांग्रेस पार्टी 120 से भी ज्यादा सीटों पर बढ़त हासिल कर चुकी है। वहीं भाजपा का आंकड़ा 80 सीटों तक भी नहीं पहुंच पाया है। रुझानों के अनुसार तो कांग्रेस पार्टी फिर एक बार कर्नाटक की राजनीति पर काबिज होने वाली है। बीजेपी अगर कर्नाटक में हारती है तो आगे वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए काफी मुसीबत खड़ी हो सकती हैं।

क्योंकि पूरे दक्षिण भारत में कर्नाटक एकमात्र ऐसा राज्य था जहां भाजपा की सरकार थी और अब इस राज्य में भी उनकी ये सरकार नहीं रहेगी। आखिर भाजपा क्यों हार रही है.? इस बात के कई सारे कारण हैं। लेकिन सबसे बड़ा कारण है पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा। भ्रष्टाचार का दाग लगने के बाद से ही येदियुरप्पा की इज्जत मिट्टी में मिल गई है।

हालांकि इस मामले में भाजपा का कहना है कि अदालत के फैसले से ये दाग साफ हो गया है। पूर्व सीएम पर लगा ये दाग भाजपा की हार का एक बड़ा कारण है। दूसरा कारण विकास कार्यक्रमों को आम लोगों तक नहीं पहुंचना है। सूत्रों के अनुसार भाजपा की किसी भी रैली में कर्नाटक सरकार की उपलब्धियों की चर्चा नहीं की गई है। अगर बीजेपी प्राथमिकता के आधार पर यही काम करवाती तो शायद चुनाव के नतीजे कुछ अलग दिखाई देते।

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