करीब 2 महीने पहले दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से कुछ चीतों को भारत के मध्य प्रदेश में लाया गया था। इस पूरे काम में भारत सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए थे। लेकिन अब खबर सामने आ रही है कि इन चीतों में से तीन की मौत हो गई है। जिसको देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने गंभीर चिंता व्यक्त की है और साथ ही चीतों को स्थानांतरित करने को भी कहा है। न्यायालय का कहना है कि सरकार दूसरे देशों से चीतों को लेकर आई अच्छी बात है, लेकिन अब उनके बारे में सोचना भी उनकी ही जिम्मेदारी है। (Cheetah Ki maut)
आपको बता दें कि करीब 2 महीने पहले दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से इन चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Rashtriya Udyan) में लाया गया था। कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्र से कहा है कि “ऐसा प्रतीत होता है कि केएनपी बड़ी संख्या में चीतों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है।” इसके लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने पर विचार करने की सलाह दी है।
बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा कि “दो महीने से भी कम समय में (चीतों की) तीन मौत गंभीर चिंता का विषय है। ऐसा प्रतीत होता है कि कूनो इतने सारे चीतों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। एक जगह पर चीतों की सघनता बहुत अधिक होती है। आप राजस्थान में उपयुक्त स्थान की तलाश क्यों नहीं करते? केवल इसलिए कि राजस्थान में विपक्षी दल का शासन है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप इस पर विचार नहीं करेंगे।”
मिली जानकारी के अनुसार 27 मार्च को एक मादा चीते की मौत हुई थी, जिसका नाम ‘साशा’ था। रिपोर्ट्स की माने तो इसकी मौत किडनी की बीमारी के कारण हुई थी। इसके अलावा ‘उदय’ और ‘दक्षा’ नाम की चीते की मौत अप्रैल के महीने में हुई। ‘साशा’ की मौत पर सवाल करते हुए कोर्ट ने कहा कि “हमें पता चला कि किडनी से संबंधित बीमारी के कारण मरने वाली मादा चीता भारत लाए जाने से पहले इस समस्या से पीड़ित थी। सवाल यह है कि यदि मादा चीता बीमार थी तो उसे भारत लाने की मंजूरी कैसे दी गई।”
इसके जवाब में केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि “सभी चीतों का पोस्टमार्टम किया गया है और कार्यबल मामले की जांच कर रहा है।” पीठ ने आगे कहा कि “आप विदेश से चीते ला रहे हैं, यह अच्छी बात है, लेकिन उन्हें सुरक्षित रखने की भी जरूरत है. उन्हें उपयुक्त आवास देने की आवश्यकता है, आप कूनो से अधिक उपयुक्त आवास की तलाश क्यों नहीं करते। हम सरकार पर कोई आक्षेप नहीं लगा रही है बल्कि मौतों पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।”