लन्दन में कल विश्व कप क्रिकेट के फ़ाइनल में इंग्लैंड ने न्यूज़ीलैंड को अजीब ओ ग़रीब ढंग से हरा दिया. असल में इस मैच में न्यूज़ीलैंड ने पहले बल्लेबाज़ी की और निर्धारित 50 ओवर में 241 रन बनाये. 242 के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड भी 241 ही बना सकी. इसमें भी कितना तो ड्रामा हुआ. न्यूज़ीलैंड के खिलाड़ी ने 49वें ओवर में एक कैच पकड़ा लेकिन ग़लती से खिलाड़ी ने बाउंड्री पर पाँव रख दिया.
आख़िरी ओवर में बेन स्टोक्स को रन आउट करने के लिए जब थ्रो फेंका गया तो वो उनके बल्ले से लग कर बाउंडरी पार चला गया. इस तरह से इंग्लैंड को अंतिम समय में 4 रन एक्स्ट्रा मिल गए और आख़िरी दो गेंदों पर जब तीन रन जीतने को बनाने थे और 2 टाई को तो इंग्लैंड की टीम 2 ही बना सकी और मैच टाई हो गया.
इसके बाद सुपर ओवर हुआ और वो भी कम ड्रामे के साथ नहीं हुआ. इंग्लैंड ने अपने सुपर ओवर में 15 रन बनाये और न्यूज़ीलैंड को जीतने के लिए 16 रन बनाने थे और टाई होने पर जीत इंग्लैंड की होती क्यूंकि इंग्लैंड ने बल्लेबाज़ी करते समय न्यूज़ीलैंड की तुलना में अधिक बाउंडरी मारी थीं. एक निहायत ही नाटकीय मोमेंट में ये मैच टाई हो गया और इंग्लैंड को वर्ल्ड कप विजेता बनने का मौक़ा मिला.
इंग्लैंड एक तरफ़ जीत गया लेकिन लन्दन में ही उस समय एक और बहुत ही क्लासिक मैच हुआ. ये मैच क्रिकेट का नहीं बल्कि टेनिस का था. कल विंबलडन का पुरुष एकल फाइनल था. इसमें नोवाक जोकोविच और रॉजर फेदेरेर आमने-सामने थे. पाँच सेट तक चले इस फाइनल में जोकोविच ने अंत में जीत पायी. ये विंबलडन इतिहास का सबसे लंबा चला फाइनल था. अंतिम स्कोर था- 7-6,1-6, 7-6,4-6, 13-12. रॉजर फेदेरेर इस मुक़ाबले में कई बार जीत की कगार पर थे, ये बिलकुल उसी तरह था जैसे न्यूज़ीलैंड जीत की कगार पर था लेकिन हार ही उसकी क़िस्मत में लिखी थी.