उत्तर प्रदेश में कल मैनपुरी के लोकसभा उपचुनाव के नतीजे सामने आये. समाजवादी पार्टी ने यहाँ रिकॉर्ड तोड़ जीत दर्ज की है. सपा ने यहाँ से डिम्पल यादव को टिकट दिया था. समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई इस सीट पर सपा ने मुलायम की बहु और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल को टिकट दिया था.
इस सीट को जीतने के लिए भाजपा ने भी अपनी ओर से ख़ासी मेहनत की थी और शिवपाल यादव के ख़ास माने जाने वाले रघुराज सिंह शाक्य को अपने पाले में करके उनको चुनाव में उतारा था. एक समय ऐसा लगा कि शिवपाल यादव शायद सपा के लिए वोट न माँगें लेकिन ये सब बातें महज़ अफ़वाह सिद्ध हुईं और शिवपाल यादव ने खुलकर डिम्पल के लिए प्रचार किया. शिवपाल यादव ने न सिर्फ़ अखिलेश के साथ मंच साझा किया बल्कि उन्होंने अपने बेटे और अपनी पार्टी प्रसपा के कार्यकर्ताओं को जी जान से लगा दिया कि ज़्यादा से ज्यादा वोट सपा को मिले.
शिवपाल की सपा के लिए मेहनत देख भाजपा सरकार ने उनसे ज़ेड सिक्यूरिटी वापिस ले ली और उन्हें वाई सिक्यूरिटी दे दी. सरकार के फ़ैसले पर अखिलेश यादव ने तंज़ करते हुए कहा कि चाचा को किसी सिक्यूरिटी की ज़रूरत ही कहाँ है, वो ख़ुद ही अपनी सुरक्षा करने में सक्षम हैं. कल जब नतीजे आना शुरू हुए तो भाजपा को ये तो लग गया था कि उसकी जीत यहाँ मुश्किल है लेकिन जिस तरह की हार हुई है उसकी उम्मीद भाजपा को भी नहीं थी. मैनपुरी से सपा की डिम्पल यादव ने 2,88,461 वोटों से जीत हासिल की है.
सपा को इस सीट पर 64 प्रतिशत से भी अधिक वोट मिला है जबकि भाजपा को यहाँ से क़रीब 34 प्रतिशत वोट मिले हैं. बसपा ने यहाँ से प्रत्याशी नहीं खड़ा किया था क्यूँकि बसपा उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारती है और कांग्रेस ने डिम्पल यादव को अपना समर्थन दिया था. सपा की प्रचंड जीत के साथ शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी प्रसपा का विलय समाजवादी पार्टी में कर दिया.
इस ख़बर के बाद सपा कार्यकर्ताओं की ख़ुशी दुगनी हो गई. आपको बता दें कि सपा कार्यकर्ताओं की लम्बे समय से ये मांग थी कि शिवपाल यादव को सपा में शामिल करके उन्हें सम्मानीय पद दिया जाए. अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल में कई मुद्दों पर असहमति होने की वजह से हर बार बात बिगड़ती ही दिखी. इस बार ऐसा नहीं हुआ और शिवपाल ने सायकिल का दामन फिर से थाम लिया.
ऐसी भी ख़बरें हैं कि सपा शिवपाल को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बना सकती है. सपा क्या फ़ैसला लेती है ये तो आने वाला समय बताएगा लेकिन ये तय है कि शिवपाल को अखिलेश कोई न कोई सम्मानीय पद देंगे.