90 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम कुछ इस तरह की थी कि वो अपने देश में तो जीत जाती थी लेकिन बाहर उसके लिए एक भी मैच जीतना मुश्किल जैसा हो जाता था. अज़हरुद्दीन की कप्तानी में भारत ने कई बड़े टूर्नामेंट जीते और कई घरेलु टेस्ट सीरीज़ बड़े अंतर से जीतीं लेकिन टेस्ट क्रिकेट में भारत विदेशी धर्ती पर फिसड्डी था. उसके बाद मैच फ़िक्सिंग का ऐसा जाल आया कि टीम के कई बड़े खिलाड़ियों को अलविदा कहना पड़ा.
मुहम्मद अज़हरुद्दीन का तो नाम इसमें आया ही था, साथ ही अजय जडेजा, नयन मोंगिया जैसे खिलाड़ियों का नाम भी आया. कुछ पुराने खिलाड़ियों का नाम भी आया जिसमें मनोज प्रभाकर का नाम भी शामिल है. ये वो दौर था जब भारतीय क्रिकेट को फ़्रेश स्टार्ट करनी थी. इसी समय कप्तानी की ज़िम्मेदारी मिली सौरव गांगुली को. गांगुली जब कप्तान बने तो उनकी ज़िम्मेदारी ये भी थी कि टीम को कैसे खड़ा किया जाए.
इसी समय गांगुली ने कुछ नए खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया और कमज़ोर सी लगने वाली नई नवेली टीम ने ICC नॉकआउट ट्राफी में कमाल का प्रदर्शन किया. गांगुली की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम लगातार सफलता के परचम लहराती चली गई. अब सौरव ने ICC अध्यक्ष पद के लिए अपना पर्चा भरा है. ऐसा माना जा रहा है कि सौरव गांगुली जल्द ही अध्यक्ष चुने जाएँगे.
इस बात से क्रिकेट जगत में लोग उत्साहित हैं. सौरव गांगुली के BCCI अध्यक्ष बनने की ख़बर के बाद मशहूर तेज़ गेंदबाज़ शोएब अख्तर ने भी बयान दिया है. पाकिस्तान के दिग्गज गेंदबाज़ ने कहा कि जब तक सौरव भारतीय टीम के कप्तान नहीं बने थे मैंने नहीं सोचा था कि भारत पाकिस्तान को रेगुलर हरा सकेगा. उन्होंने गांगुली की तारीफ़ करते हुए कहा कि वो हमेशा कहते थे कि अगर मैं शोएब को फ़ेस करने नहीं जाऊँगा तो मैं किसी और से कैसे कहूँगा.
शोएब ने कहा कि गांगुली के पास वो आँख है जिससे वो टैलेंट को पहचान लेते हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने क्रिकेट में नया बेंचमार्क सेट किया लेकिन परिस्थितियों ने उनको परेशान किया. शोएब ने कहा कि जब भारतीय टीम के कोच ग्रेग चैपल बने तो सौरव के साथ ज़्यादती हुई.