मुंबई: महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर अभी भी जोड़-तोड़ जारी है. भाजपा अपने पक्ष को मज़बूत करने में लगी है तो शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद से कम पर समझौता न करने की बात तय कर ली है. भाजपा लगातार शिवसेना को ये सन्देश देने की कोशिश कर रही है कि वो बड़ी पार्टी है और अगर शिवसेना ने उससे अलग होने की कोशिश की तो ये शिवसेना के लिए घा’तक होगा. शिवसेना के वरिष्ठ नेता अपने रिस्क और अपने फ़ायदे को कैलकुलेट कर रहे हैं.
इस बीच भाजपा निर्दलीयों को साधने में लगी है. ख़बर है कि चंद्रपुर से निर्दलीय चुन कर आये विधायक किशोर जोर्गेवार ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस दे मुलाक़ात की और भाजपा को अपना समर्थन दिया. इसके पहले जन सुराज्य शक्ति पार्टी के नेता शाहुवादी(कोल्हापुर) विधायक विनय कोरे ने भी भाजपा को अपना समर्थन दिया. उन्होंने कल मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस से मुलाक़ात की थी.
कांग्रेस और एनसीपी अपने बयानों में कह चुके हैं कि अगर शिवसेना उनके पास किसी ऑफर के साथ आती है तो वो उस पर विचार कर सकते हैं लेकिन अभी तक शिवसेना की ओर से कोई पहल नहीं की गई है. शिवसेना जिस तरह से पहल करने से चूक रही है, इसी बात का फ़ायदा भाजपा उठा रही है. भाजपा को लगता है कि शिवसेना अंत में मान ही जाएगी. परन्तु कुछ जानकार मानते हैं कि इस बार अगर शिवसेना ने समझौता कर लिया तो ये उसके भविष्य के लिए अच्छा नहीं होगा.
आपको बता दें कि शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बयान देकर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस के उस बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने कोई ’50-50 फ़ॉर्मूला’ न होने की बात कही है. राउत ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने ख़ुद अपने मुँह से 50-50 फ़ॉर्मूला की बात की थी, उद्धव जी ने भी इसको कहा था..ये अमित शाह के सामने हुआ था. उन्होंने कहा,”अब ये कहते हैं कि ऐसी कोई बात हुई नहीं तो मैं प्रणाम करता हूँ ऐसी बातों को. वो कैमरे के सामने कही हुई बात को नकार रहे हैं.”