मुंबई: शिवसेना और भाजपा के बारे में कहा जाता है कि ये गठबंधन में होने के बाद भी एक दूसरे के ख़िलाफ़ कुछ-कुछ टिपण्णी करते रहते हैं. ख़ासतौर से शिवसेना हर बार चुनाव के बाद और चुनाव से पहले भी कुछ इस तरह का माहौल तैयार करती है जिससे भाजपा पर दबाव बने लेकिन इस बार मामला कुछ अलग लग रहा है. इस बार शिवसेना मांग कर रही है कि मुख्यमंत्री पद उसकी पार्टी को मिले.
भाजपा इस बार उम्मीद के मुताबिक़ प्रदर्शन नहीं कर पायी है. भाजपा को 288 सीटों वाली विधानसभा में 105 सीटें मिली हैं जबकि शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं. इसका अर्थ है कि अगर शिव सेना गठबंधन को तोड़ दे तो सरकार नहीं बन पाएगी. वहीँ इस बीच ऐसी ख़बर आ रही है कि शिव सेना अन्दर अन्दर एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं से भी बात कर रही है.
इस चुनाव में कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिली हैं जबकि 2 सपा और एक सीपीएम को मिली है. इस लिहाज़ से विपक्षी गठबंधन की 101 सीटें हैं. अगर एनसीपी-कांग्रेस शिवसेना को समर्थन दे देती हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव हो जाएगा. कांग्रेस ने कुछ इस तरह का बयान भी दिया है जिसके बाद कई बातें चलने लगी हैं.
शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक ने कहा, ‘‘हम आदित्य ठाकरे को अगला मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं. लेकिन उद्धवजी अंतिम फैसला लेंगे.” शिवसेना विधायक अब्दुल सत्तर ने भी कुछ इसी तरह का बयान दिया है. उन्होंने कहा,”उद्धवजी इस पर अंतिम फैसला लेंगे.”कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वादेत्तिवर ने बयान दिया है कि हमारे पास विपक्ष का रोल है और हम उसे निभाएँगे लेकिन अगर कोई विकल्प बनता है तो शिवसेना को हमसे बात करनी चाहिए, अभी तक उन्होंने हमसे संपर्क नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि गेंद अभी भाजपा के पाले में है, अब ये शिवसेना को फ़ैसला करना है कि वो पाँच साल का मुख्यमंत्री चाहते हैं या भाजपा के रिस्पोंस का इंतज़ार करके 2.5 साल का मुख्यमंत्री चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना का प्रपोज़ल आता है तो हम विचार करेंगे.इस बीच ठाकरे परिवार के निवास के सामने आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग के पोस्टर भी लग गए हैं. इन सब के बीच भाजपा अब कुछ भी बोलने से बच रही है.