एक तरफ़ तो दुनिया में कोरोना वायरस का क़’हर है तो दूसरी ओर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच “तेल युद्ध” जैसी स्थिति है. पहले भी तेल को राजनीतिक दबाव के साधन के बतौर इस्तेमाल किया गया है, एक बार फिर स्थिति कुछ वैसी ही है, इसलिए इसको “तेल युद्ध” का नाम भी दिया जा रहा है. इसको जल्द से जल्द ख़त्म कराने की कोशिश कई देश कर रहे हैं लेकिन रूस और सऊदी अरब में किसी प्रकार की सहमति बन नहीं पा रही है. इस बात से अमरीका भी ख़ासा परेशान है.
रशिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अमरीका में ऑइल स्टेट्स से चुने जाने वाले अमरीकी सीनेटर्स ने सऊदी अधिकारियों को फ़ोन करके इस समस्या का समाधान करने की माँग की थी. अमरीकी सीनेटर्स के मुताबिक़ वैश्विक स्तर पर तेल के दाम सऊदी अरब की नीति की वजह से गिर रहे हैं. दो घंटे तक चली फ़ोन कॉल में रिपब्लिकन सीनेटर्स केविन क्रेमर और डैन सुल्लिवन ने सऊदी अधिकारियों से इस विषय पर गं’भीर चर्चा की.
अमरीकी सीनेटर्स ने मामले ने सऊदी अरब की फ़िलहाल की कोशिशों की तारीफ़ की लेकिन अमरीकी कंपनियों को हुए नुक़सान पर सऊदी अरब को अप्रत्यक्ष तौर पर ज़िम्मेदार भी ठहराया. नार्थ डकोटा से सीनेटर क्रेमर ने कहा कि ऐसे समय जबकि हमारी फ़ौज सऊदी अरब की रक्षा करती है, उसी समय सऊदी अरब ने अमरीकी तेल उत्पादक कंपनियों पर यु’द्ध छेड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस तरह तो एक दोस्त दूसरे दोस्त के साथ बर्ताव नहीं करता.
सुल्लिवन ने माना कि सऊदी अरब ने 12 मिलियन बैरेल का उत्पादन करके वैश्विक ऊर्जा बाज़ार को बर्बादी की तरफ़ धकेल दिया. उन्होंने कहा कि इस वजह से कई अमरीकी कंपनियां बंद होने की कगार पर आ गई हैं. उन्होंने कहा कि शब्दों से ज़्यादा क्रिया पर ज़ोर देना होगा और किंगडम को ऑइल प्रोडक्शन कट करना ही होगा जितना जल्दी हो सके. टेक्सास के टेड क्रूज़ ने भी इस डिस्कशन में हिस्सेदारी ली. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब टेक्सास के तेल उत्पादकों को ख़त्म करना चाहता है.
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब ने बाज़ार में तेल की “बाढ़” लगा दी है. उन्होंने कहा,”अगर आप हमारे दुश्मन की तरह बर्ताव करेंगे, तो हम भी आपसे साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव ही करेंगे.डलास मोर्निंग न्यूज़ में छपे उनके बयान के मुताबिक़,”मेक्सिको ने अमरीकी प्रोडूसर पर किसी तरह का आर्थिक हमला नहीं किया.. ये रूस और सऊदी अरब ने किया.. जिन्होंने पान्डेमिक (COVID-19) का इस्तेमाल किया.”