वाराणसी: देश भर में कोरोना वायरस को लेकर चिं’ता की स्थिति है. सरकार ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए लॉक डाउन जैसे मेथड का इस्तेमाल किया. इससे लोगों को परेशानी भी हो रही है, कुछ इसी तरह के एक मामले में वाराणसी में किसानों का ग़ुस्सा शासन-प्रशासन पर फूटा. असल में किसान प्रशासन के रवैये से इतना नारा’ज़ हो गए कि उन्होंने अपनी सब्ज़ियाँ फेंक दीं. मामला ये है कि मंडी के खुलने के समय में जो बदलाव हुआ और जिस तरह का रवैया स्थानीय प्रशासन का रहा, उसकी वजह से बात बढ़ गई.
सरकार ने 10 तारीख़ से बाज़ारों और बड़ी मंडियों के खुलने के समय में बदलाव किया था. सब्ज़ी मंडी को सवेरे 8 बजे खुलना था लेकिन किसान 7 बजे ही पहुँच गए. इसको लेकर पुलि’स ने मंडी के पदाधिकारियों से पूछताछ करना शुरू कर दिया जिसमें बहस शुरू हो गए. इसके बाद किसान ना’राज़ हो गए और जो सब्ज़ियाँ वो लाये थे उन्हें फेंकना शुरू कर दिया.
‘आजतक’ मामला लमही स्थित सब्ज़ी मंडी का है. इसमें समझने की बात है कि अगर किसान सब्ज़ी लेकर आये हैं और एक घंटा पहले ही आ गए तो प्रशासन ने इतना कठोर रवैया क्यूँ अपनाया. बात ये भी समझने की है कि किसान अपने गाँव से जब सब्ज़ी लेकर आये हैं तो वो ख़ुद कोशिश करेंगे कि थोड़ा पहले आ जाएँ. ऐसे में यहाँ पु’लिस का रवैया ग़लत बताया जा रहा है. किसानों का ये भी कहना है कि पहले थोक सब्ज़ी मंडी तड़के 3 से 6 बजे तक लगती थी जिसके बाद सब्ज़ी फुटकर बाज़ार में चली जाती थी.. अब समय बदलकर 8 से 2 बजे कर दिया है तो इससे बाज़ार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और सब्ज़ियाँ ख़राब हो रही हैं.
ना’राज़ किसानों ने क्षेत्रीय प्रशासन के ख़ि’लाफ़ तो नारे लगाए ही, साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िला’फ़ भी नारेबाज़ी की. मोदी वाराणसी से ही सांसद हैं. प्रशासन किसानों को मनाने की कोशिश में लगा है. किसानों की नारा’ज़गी इस बात को लेकर भी है कि पुलि’स प्रशासन उनकी बात को सुनने की भी कोशिश नहीं करता.