इतिहास में ऐसे बहुत से रूलर हुए हैं जिन्होंने ज़िन्दगी मरहले पर अपना मज़हब बदल लिया है. कई बार इसके राजनीतिक कारण भी रहे तो कई बार सामाजिक भी. परन्तु हम आज आपको एक ऐसे शासक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके धर्म-परिवर्तन करने के पीछे सामाजिक या राजनीतिक कारण ना होकर बल्कि व्यक्तिगत आधार पर उसने धर्म-परिवर्तन करना चुना. इस शासक का नाम बेरके खान था. 13वीं शताब्दी में मध्य एशिया में बेरके खान का राज था.
चंग़ेज़ ख़ान का पोता बेरके एक कुशल शासक माना जाता था. हालाँकि चंग़ेज़ ख़ान को क्रूर शासक माना जाता है, बेरके ऐसा ना था. बेरके का बेटा जोची कुशल मिलिट्री लीडर था, उसने कई जंगे अपने पिता को जितायीं थीं. बेरके पहला मंगोल शासक था जिसने इस्लाम अपनाया. बेरके की मौत सं 1866 में हुई. ऐसा कहा जाता है कि जब वो सराय-जुक में था तभी उसने बुख़ारा की ओर से आ रहे एक कारवाँ को देखा. उसने अपने लोगों से पूछा कि ये कौन लोग हैं और इनका मज़हब क्या है. इस पर उसे जानकारी दी गयी कि ये लोग इस्लाम को मानने वाले हैं. बेरके ने सूफ़ी शेख़ नामक एक व्यक्ति से इस्लाम को लेकर कुछ सवाल किए, वो इस्लाम के नज़रिए से इतना ख़ुश हुआ कि उसने इस्लाम धर्म अपना लिया. तुख तिमूर नामक उसके भाई ने भी इस्लाम अपनाया.
बेरके ख़ान के इस्लाम अपनाने के बाद बड़ी संख्या में मंगोलों ने इस्लाम अपनाया. इस तरह से मध्य एशिया का बड़ा हिस्सा धीरे धीरे इस्लाम को समझने लगा. मध्य एशिया में दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत मस्जिदें मौजूद हैं.