नागरिकता संशोध’न विधेय’क को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है. इस विधेयक का छात्र बड़ी तादा’द में वि’रोध कर रहे हैं. छात्रों के विरो’ध करने का एक बड़ा कार’ण ये है कि ये भारत के संविधान की मूल भावना को चो’ट पहुँचाता है. हालाँकि भाजपा और केन्द्रीय सरकार इस बात को नहीं मानती. ऐसा लगता है कि प्रोटेस्ट से शुरू हुआ ये मामला एक आन्दोल’न का रूप ले रहा है. पूरे देश में प्रोटेस्ट हो रहे हैं, रोज़ कोई न कोई संस्था किसी न किसी शहर में प्रोटेस्ट कर रही है.
इस सिलसिले में हमने लखनऊ के छात्रने’ता ज्योति राय से बात की. उन्होंने कहा कि CAA का विरो’ध हो रहा है लेकिन ये वि’रोध इसलिए भी बड़े स्तर पर है क्यूँकि ये भारत के लोगों को भी प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि जब CAA और NRC को जोड़ा जाएगा तो जिसका नाम नहीं आयेगा NRC में वो अगर ग़ैर-मुस्लि’म है तो CAA के तहत नागरिकता पा जाएगा लेकिन मु’स्लिम बाहर हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर मैं भारतीय हूँ तो मुझे अपनी नागरिकता किसी के सामने सि’द्ध करने की ज़रूरत नहीं है.
वो कहते हैं कि अगर नागरिकता सि’द्ध ही होनी है तो पहले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सारी कैबिनेट की हो और सारे उन लोगों की जो संवैधा’निक पदों पर बैठे हैं. वो कहते हैं कि जब NRC लागू होगी तो जब तक रिजल्ट आ नहीं जाता तब तक तो सभी लोग नागरिक सिद्ध हुए नहीं होंगे.. वो कहते हैं कि संविधान में कहा गया है कि देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति वही हो सकता है जो भारत का नागरिक हो तो हम ये कैसे मान लें कि प्रधानमंत्री देश के नागरिक हैं. उन्होंने कहा कि चूँकि भाजपा के ने’ता चि’ल्ला-चि’ल्ला कर कहते हैं कि नागरिकता सिद्ध करनी होगी तो वो पहले ख़ुद तो सिद्ध करके दिखाएँ.
ज्योति कहते हैं कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति नागरिकता सिद्ध करें और जब तक उनकी नागरिकता सिद्ध नहीं होती है वो अपने पद से इस्तीफ़ा दें. उन्होंने कहा कि क़ानून देश के हर नागरिक के लिए बराबर ही होगा और धर्म के आधार पर कोई भी क़ानून जो बनाया गया है वो सरकार को वापिस लेना होगा.