नई दिल्ली: देश भर में छात्र नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ सड़क पर हैं. जामिया मिलिया विश्विद्यालय और अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय में कल जिस प्रकार से पुलिस ने बल का प्रयोग किया उसके बाद केंद्र सरकार सवालों के घेरे में है. आम छात्रों को जिस तरह की चोटें आयी हैं उसके बाद छात्र देश के अलग-अलग विश्विद्यालयों में सड़कों पर निकले और अपना विरोध दर्ज किया. दिल्ली विश्विद्यालय, जवाहर लाल नेहरु विश्विद्यालय, लखनऊ के नदवा, मुंबई यूनिवर्सिटी, पटना यूनिवर्सिटी, कलकत्ता यूनिवर्सिटी में छात्रों ने अपना विरोध दर्ज किया.
छात्रों ने आरोप लगाया है कि पुलिस पहले तो छात्रों को पीट रही है फिर उन्हीं को हिंसक बता रही है. पुलिस का साथ देने का आरोप भाजपा के छात्र संगठन ABVP पर भी लगा है. सूत्रों के मुताबिक़ पुलिस कल की घटना के बाद बुरी तरह से आलोचना के घेरे में है जिसकी वजह से केंद्र सरकार भी बैकफ़ुट पर है. केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह जो अब तक कह रहे थे कि पूरा देश इस विधेयक के पक्ष में है, अब समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि इसमें कुछ ग़लत नहीं है.
झारखण्ड में अमित शाह ने एक रैली में कहा कि मैं छात्रों से ये अपील करता हूँ कि वो नागरिकता संशोधन विधेयक को समझें, ये किसी की नागरिकता लेने की बात नहीं करता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस आपको बहका रही है और हिंसा का माहौल देश में पैदा कर रही हैं.अमित शाह ने भले ही विपक्षी पार्टियों को निशाना बनाकर छात्रों से बात करने की कोशिश की हो लेकिन उनके बयान से साफ़ है कि अब वो दबाव महसूस कर रहे हैं.
आपको बता दें कि आज ट्विटर पर #ResignAmitShah भी ट्रेंड किया. कई लोगों का ये मानना है कि अमित शाह बतौर गृह मंत्री अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में पिछड़ रहे हैं. वो छात्रों के रोष को समझने में भी नाकाम हैं और पुलिस बजाय संवाद स्थापित करने के लाठी चलाने पर ज़्यादा ध्यान दे रही है.