गुजरात बनने के बाद प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव सन 1962 में हुए. इसके पहले गुजरात और महाराष्ट्र का क्षेत्र मिलाकर बॉम्बे राज्य था. बॉम्बे राज्य के बँटवारे के बाद पहली बार गुजरात में जब विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी और उसका मुक़ाबला करने के लिए उसके सामने थी स्वतंत्र पार्टी.
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और नूतन महा गुजरात जनता परिषद ने भी इस चुनाव में हिस्सा लिया. बॉम्बे राज्य में जब गुजराती भाषा के लोगों के लिए अलग राज्य की माँग हुई तब कांग्रेस पार्टी को भारी विरोध का सामना करना पड़ा. आन्दोलन के समय ऐसी भी स्थिति रही जब कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई को भी विरोध का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के विरोध में विपक्षी दलों ने कुछ माहौल बनाने की कोशिश की लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ.
गुजरात की 154 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस ने 113 सीटों पर जीत हासिल की. दूसरे नम्बर पर स्वतंत्र पार्टी रही, स्वतंत्र पार्टी को 26 सीटों पर जीत मिली वहीं तीसरे नम्बर पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी रही, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को 7 सीटों पर जीत मिली. एक सीट नूतन महा गुजरात जनता परिषद को भी मिली. निर्दलीय भी बड़ी संख्या में चुनाव जीत कर आए. 17 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव जीते.
मत प्रतिशत में बात करें तो कांग्रेस को पचास दश्मलव आठ-चार प्रतिशत वोट हासिल हुए, स्वतंत्र पार्टी को चौबीस दश्मलव चार-चार प्रतिशत वोट मिले. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को सात दश्मलव सात-चार प्रतिशत वोट मिले. नूतन महा गुजरात जनता परिषद को दो दश्मलव पाँच-एक प्रतिशत वोट हासिल हुए. निर्दलीय उम्मीदवारों को बारह दश्मलव शून्य दो प्रतिशत वोट मिले. अन्य दलों को दो दश्मलव चार-पाँच प्रतिशत वोट हासिल हुए.