कांग्रेस ने चुनाव आयोग के उस फ़ैसले के ख़िलाफ़ याचिका दायर की है जिसमें गुजरात में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव एक ही दिन लेकिन अलग-अलग करने की बात सामने आयी है. असल में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह और स्मृति इरानी ने अपनी राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है जिसके बाद दो सीटें रिक्त हुई हैं. आयोग के फ़ैसले के ख़िलाफ़ गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष परेशभाई धनानि ने याचिका दायर की थी.
वहीँ निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया था कि राज्यसभा सहित सभी सदनों के लिये उपचुनाव के लिये रिक्त स्थानों को ‘‘अलग रिक्तियां’’ माना जाता है और इसके लिये अलग-अलग अधिसूचना जारी होती है।चुनाव भी अलग-अलग होता है,हालांकि इसका कार्यक्रम एक हो सकता है। इन दोनों सीटों के लिए चुनाव पांच जुलाई को ही होने हैं।
धनानी ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग के आदेश को असंवैधानिक,मनमाना और गैरकानूनी घोषित करते हुये इसे रद्द करने का अनुरोध किया है।याचिका में कहा गया है कि आयोग के इस आदेश से संविधान के अनुच्छेद 14 का हनन होता है। उन्होंने निर्वाचन आयोग को उपचुनाव एकसाथ कराने और गुजरात सहित सभी राज्यों में सारी रिक्त सीटों के लिये साथ में चुनाव कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
कांग्रेस के विधायक ने याचिका में यह भी कहा है कि गुजरात में राज्य सभा की दो सीटों के लिये अलग-अलग चुनाव जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत प्रदत्त आनुपातिक प्रतिनिधित्व की योजना का संतुलन बिगाड़ेगा। याचिका में कहा गया है कि संविधान और जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत यह बुनियादी सिद्धांत है कि यदि चुनाव के समय नियमित रिक्तियां हैं तो इसे एकसाथ कराया जाना चाहिए ताकि इन चुनावों में एकल हस्तांतरित मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था लागू की जा सके।
उल्लेखनीय है कि तकनीकी आधार पर अगर अलग-अलग चुनाव होंगे तो संभावना है कि भाजपा दोनों सीटें जीत जाएगी लेकिन एक साथ चुनाव होने पर दोनों पार्टियों को एक एक सीट मिलने की अधिक उम्मीद है. कांग्रेस का मानना है कि आयोग भाजपा के पक्ष में काम कर रहा हा. कांग्रेस का आरोप है कि निर्वाचन आयोग की कार्रवाई पूरी तरह से दुराग्रहपूर्ण और मनमानी है।