रायपुर: झारखण्ड में मिली बड़ी हार के बाद भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ से भी अच्छी ख़बर नहीं आ रही है. यहाँ हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की है. वहीँ भाजपा को एक और हार का सामना करना पड़ा है. छत्तीसगढ़ में हुए नगरीय निकाय चुनाव में राज्य के 151 निकायों में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 923 वार्डों में जीत हासिल की है वहीं भारतीय जनता पार्टी को 814 वार्डों में जीत मिली है.
25 दिसंबर को हुई वोटों की गिनती के बाद आयोग ने राज्य के कुल 2,831 वार्डों में से 2,032 के लिए चुनाव परिणाम की घोषणा कर दी है. कांग्रेस के उम्मीदवार 923 वार्डों में, 814 वार्ड में भाजपा के उम्मीदवार, 17 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के उम्मीदवार तथा 278 में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. उन्होंने बताया शनिवार को जिन नगर निकायों के लिए मतदान हुआ उनमें 10 नगर निगम, 38 नगरपालिका परिषद और 103 नगर पंचायत शामिल हैं.
राजधानी रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों में से भाजपा ने अब तक 23 वार्ड में तथा कांग्रेस ने 22 वार्ड में जीत हासिल की है. जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो वार्ड में जीत हासिल की है. राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने 151 शहरी निकायों के 2843 वार्ड पार्षदों के लिए आम चुनाव की घोषणा की थी. छह वार्डों में पार्षद निर्विरोध चुने गए. इसके अलावा, तीन वार्डों में कोई नामांकन प्राप्त नहीं हुआ, जबकि दो स्थानों पर सभी नामांकन वापस ले लिए गए. वहीं एक उम्मीदवार की मौ’त के कारण दोरनापाल नगर पंचायत के एक वार्ड में चुनाव नहीं हुआ.
2831 वार्डों में पार्षदों के लिए मतदान कराया गया. राज्य में नए नियमों के अनुसार, नगरीय निकायों के महापौर और अध्यक्षों का चुनाव पार्षदों द्वारा किया जाएगा. चुनाव परिणाम को लेकर सत्ताधारी दल कांग्रेस का कहना है कि शहरी जनता ने राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों पर विश्वास किया है. वहीं भाजपा का कहना है कि नतीजों ने सत्तारूढ़ पार्टी को आईना दिखाया है.
कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि परिणाम के अनुसार कांग्रेस ने भाजपा से अधिक वार्डों में जीत दर्ज की है, वहीं कई अन्य वार्डों में अभी आगे है. उन्होंने दावा किया कि शहरी निकायों में कांग्रेस के अधिकतम महापौर और अध्यक्ष होंगे. जनता ने राज्य सरकार के विकास कार्यों पर मुहर लगा दी है. भाजपा की ओर से दावा किया गया कि कांग्रेस को उतनी बड़ी कामयाबी नहीं मिली है जितनी उसे विधानसभा में मिली थी.