दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव शुरू में तो ऐसा लगा कि किसी नॉर्मल चुनाव की तरह है लेकिन जैसे ही चुनाव को एक महीना बचा भाजपा ने अपना प्रचार बुलेट की रफ़्तार से तेज़ कर दिया. स्थिति ये हो गई कि भाजपा दावे करने लगी कि सरकार उसकी बनेगी. शाहीन बाग़ में जनता नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ धरने पर बैठी थी तो भाजपा नेताओं ने इसको लेकर भी ऐसे बयान दिए जिन्हें सा’म्प्रदायिक बयानों की श्रेणी में भी रखा गया. इस पर भी जब बात नहीं बनी तो भाजपा के नेताओं ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को आ’तंकवादी कह डाला.
केजरीवाल ने इसको तुरंत लपक लिया और इससे सहानुभूति हासिल कर ली. सारे दाँव एक तरफ़ फ़ेल हो रहे थे तो भाजपा का कोई नेता शाहीन बाग़ को गाली देता तो कोई इस चुनाव को भारत और पाकिस्तान के बीच मैच बताता तो कोई केजरीवाल को गा’ली देता. भाजपा ने इस चुनाव को पूरी तरह से मुद्दों के बजाय विवादित भाषणों पर लड़ा. कुछ जानकार मानते हैं कि इस तरह की बयानबाज़ी दिल्ली में कभी भी सुनने को नहीं मिली.
अब ख़बर है कि पार्टी इस बात का अध्ययन कर रही है कि क्या वजह रही कि इतनी बड़ी हार हो गई. आम आदमी पार्टी 70 में से 62 सीटें जीती है जबकि भाजपा महज़ 8 ही जीत सकी. इस बात का अध्ययन करने के साथ ही ये भी उम्मीद लग रही है कि दिल्ली की हार के ज़िम्मेदार नेताओं पर कार्यवा’ई की जाएगी. भाजपा सूत्र बताते हैं कि दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी पर गाज गिरेगी और उन्हें अपने पद से हटाया जाएगा. वहीँ उनके अलावा दिल्ली प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर पर भी का’र्यवाई हो सकती है.
केन्द्रीय मंत्री जावड़ेकर ने अरविन्द केजरीवाल को आतं’कवादी कहा था. इसके अलावा भाजपा के कई नेताओं पर कार्य’वाई होने की उम्मीद है. इस चुनाव को जिस तरह से भाजपा ने लड़ा था उसमें वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह का भी बड़ा रोल था. इस चुनाव को अमित शाह बनाम अरविन्द केजरीवाल भी कहा जा रहा था. कुल मिलाकर भाजपा ने हर तरह की कोशिश कर ली लेकिन जीत उसके हाथ नहीं लगी है.