नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज महाराष्ट्र के सियासी संकट पर सुनवाई की. इस सुनवाई के दौरान अदालत ने हर पक्ष को बराबर से सुना. अदालत में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र भाजपा की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि फ़लूर टेस्ट के लिए अदालत राज्यपाल को 24 घन्टे में कराने को नहीं कह सकती..उचित समय सात दिन है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में अब कल आदेश सुनाने का फ़ैसला किया है. कल बहुमत सिद्ध करने पर सुप्रीम कोर्ट फ़ैसला लेगा.
सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना ने अपील दायर की है जिसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व में गठित हुई सरकार को अदालत तुरंत ही बहुमत सिद्ध करने के लिए कहे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कल सुनवाई में सरकार के वकीलों से कहा था कि वो उस समर्थन पत्र को पेश करें जो राज्यपाल को सौंपा गया था. आज जब इसकी सुनवाई हुई तो सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उनके पास में ओरिजिनल डॉक्यूमेंट हैं.
तुषार मेहता ने अदालत से समय माँगा है कि सरकार को कुछ पक्ष रखने के लिए और वक़्त दिया जाए. अपने समर्थन पत्र में अजीत पवार ने लिखा है जिस पर नवम्बर 22 तारीख़ पड़ी हुई है. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन हमेशा के लिए नहीं चल सकता है और एक स्थिर सरकार की ज़रूरत है..इस पत्र में लिखा गया है कि भाजपा ने पहले अजीत पवार से समर्थन माँगा था लेकिन तब एनसीपी के विधायक तैयार नहीं थे इस वजह से उन्होंने इसको मना कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में सोलिसिटर जनरल कहते हैं कि अभी की स्थिति ये है कि राज्यपाल ने बहुमत वाले गठबंधन को सरकार बनाने के लिए invite किया..देवेन्द्र फडनवीस ने दावा पेश किया जिसमें अजीत पवार का समर्थन पत्र था और 11 अन्य विधायकों का समर्थन पत्र था. इसके बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन हटाया जाए..राज्यपाल ने अपने विवेक का सहारा लेते हुए सबसे बड़ी पार्टी को invite किया..देवेन्द्र फडनवीस के पास 170 विधायकों का समर्थन है.