द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई। इस संस्था का देखा जाए तो प्रारूप वही था जो लीग ऑफ नेशन्स का था, लीग ऑफ नेशन्स को प्रथम विश्व युद्ध के बाद बनाया गया था लेकिन ये महत्वपूर्ण मौक़ों पर नाकाम साबित हुई थी। संयुक्त राष्ट्र के मामले में ऐसी ग़लती ना हो। इस वजह से किसी एक देश को द्वितीय विश्व युद्ध का जिम्मेदार घोषित नहीं किया गया।
संयुक्त राष्ट्र में यूँ तो पाँच देशों को परमानेंट सदस्य बनाया गया लेकिन इसको लेकर भी विवाद रहा। चीन को स्थायी सदस्यता मिली थी लेकिन चीन में क्रांति आने के बाद इसे पीपल रिपब्लिक ऑफ चाइना(PRC) को देने के बजाय रिपब्लिक ऑफ चाइना(ROC) को ही दी गयी। बहुत बाद में PRC को संयुक्त राष्ट्र में जगह मिली। परंतु हम आज जिस एक मामले की बात करने जा रहे हैं वो है तीन देशों के संयुक्त राष्ट्र जॉइन करने का।
17 सितंबर, 1974 के दिन तीन देशों को संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता दी गयी थी।इन तीन देशों में से एक अफ़्रीका में, एक कैरेबियन में और एक एशिया में है। आज ही के रोज़ ग्रेनेडा को जो कि कैरिबियन द्वीप में स्थित एक देश है, उसको संयुक्त राष्ट्र में जगह मिली थी। इसके अतिरिक्त अफ़्रीकी देश गिनाई बिस्सौ को भी सदस्यता दी गयी थी। इसके अतिरिक्त एक और देश को सदस्यता दी गयी थी जो मुस्लिम बहुल है।
जिस मुस्लिम बहुल देश की हम बात कर रहे हैं वो कभी भारत का ही हिस्सा था। हम बात कर रहे हैं भारत के उत्तर पूर्व में स्थित बांग्लादेश की। बांग्लादेश पाकिस्तान से 1971 में अलग हुआ था। बांग्लादेश अपनी आज़ादी का दिवस 26 मार्च, 1971 को मनाता है। बांग्लादेश एक सेक्युलर देश है जिसमें सबसे अधिक आबादी मुसलमानों की है। यहाँ मुसलमान 90% हैं जबकि हिन्दू समुदाय के लोग यहाँ 8.5% हैं।संयुक्त राष्ट्र में इन तीन देशों में सबसे अधिक योगदान बांग्लादेश ने किया है। बांग्लादेश ने हर एक मामले में अपना पक्ष मज़बूती से रखा है।