लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज एक ऐसी बात कह दी है जिसके बाद प्रदेश की सियासत में भूचाल की स्थिति बन सकती है. पिछले कुछ दिनों से सियासी हलकों में ये दबी ज़बान में कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार से उन्हीं की पार्टी के कई विधायक नाराज़ हैं. चर्चाएँ ये भी हैं कि भाजपा के विधायकों की माँग है कि मुख्यमंत्री बदला जाए.
इस बात की भनक योगी आदित्यनाथ को नहीं लगी, ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है. उत्तर प्रदेश के सियासी माहौल के बीच ही नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ बड़े स्तर पर प्रोटेस्ट शुरू हो गए. उत्तर प्रदेश में ये प्रोटेस्ट काफ़ी ज़्यादा रहे और अभी भी हो रहे हैं. भाजपा नेतृत्व लेकिन कुछ समझ पाता योगी आदित्यनाथ की सरकार की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कथित दमन किया. अब इस पूरे मामले में अखिलेश यादव का बयान आया है.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बयान दिया है कि यह जो अन्याय हो रहा है और लोग पुलिस की गोली से मारे गए हैं, उसका अगर कोई ज़िम्मेदार है तो बीजेपी सरकार और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिम्मेदार हैं. वह इसलिए क्योंकि वह जानते हैं कि बीजेपी के 200 विधायकों ने उनके खिलाफ विधानसभा में धरना-प्रदर्शन किया था. लिहाजा वह अपनी कुर्सी बचाने के लिए मुसलमानों पर अन्याय करवा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अगर मन टटोला जाए तो 300 विधायक योगी से नाराज हैं. योगी इस बात से घबराए हुए हैं और अपनी कुर्सी बचाने के लिए पुलिस के जरिए नाइंसाफी करवा रहे हैं. वह जानते हैं कि इस तरह की कार्रवाई के बाद अगले छह महीने तक कोई भी उनसे कुछ नहीं पूछेगा और वह ऐसे जमकर बैठ जाएंगे कि अगले डेढ़ साल तक कोई नहीं हटा पाएगा.
लोकसभा सांसद ने कहा कि नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदेश में हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा की अगर उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराई जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी. उन्होंने कहा कि तब यह जाहिर हो जाएगा कि हिं’सा के दौरान जो भी लोग मरे, वे पुलिस की गोली से मारे गए. हिंसा के शिकार हुए लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी बीजेपी के लोग अपने हिसाब से बनवा रहे हैं. आखिर क्या वजह है कि सरकार सच छिपाना चाहती है. अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री ऐसा इसलिए करा रहे हैं ताकि कोई भी अगले छह महीने तक उनसे यह न पूछे कि प्रदेश में कितना निवेश आया है.
अखिलेश ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा ”चाहे एनआरसी हो या एनपीआर, यह हर गरीब, हर अल्पसंख्यक और हर मुस्लिम के खिलाफ है.” उन्होंने सभाकक्ष में बैठे SP के छात्र नेताओं से मुखातिब होते हुए कहा ”सवाल यह है कि हमें एनपीआर चाहिये या रोजगार? अगर जरूरत पड़ी तो मैं पहला व्यक्ति होउंगा जो कोई फॉर्म नहीं भरेगा. आप साथ देंगे कि नहीं. नहीं भरते हैं तो हम और आप सब निकाल दिए जाएंगे. हम तो नहीं भरेंगे, बताओ आप भरोगे?”